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Dietary Guidelines for Indians: कम तेल से लेकर प्रोटीन सप्लीमेंट्स तक, राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने जारी किए डाइट से जुड़े सुझाव, जानिए

National Institute of Nutrition ने 13 साल के अंतराल के बाद लोगों के लिए डाइट से संबंधित गाइडलाइंस जारी की हैं. गाइडलाइंस में भारतीयों के लिए शुगर से लेकर प्रोटीन इनटेक तक से जुड़े सुझाव हैं.

Dietary Guidelines for Indians Dietary Guidelines for Indians
हाइलाइट्स
  • अनहेल्दी डाइट है बीमारियों का कारण 

  • कम तेल, शुगर और प्रोटीन सप्लीमेंट्स से रहें दूर

13 साल के अंतराल के बाद, दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने नए साइंटिफिक रिजल्ट, जीवनशैली में बदलाव, बीमारियों और भोजन की आदतों को ध्यान में रखते हुए 'भारतीयों के लिए डाइटरी गाइडलाइंस' को अपडेट किया है. इसने भारतीयों को सलाह दी कि वे प्रतिदिन चीनी का सेवन 20-25 ग्राम (एक चम्मच लगभग 5.7 ग्राम) तक सीमित रखें क्योंकि यह प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट से आता है, प्रोटीन सप्लीमेंट्स बचें और तेल कम करें.

गाइडलाइंस में एयर फ्राइंग और ग्रेनाइट-कोटेड कुकवेयर की सराहना की गई है. NIN ने पहली बार पैकेज्ड फूड लेबल की व्याख्या के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए हैं. ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बुधवार को अपडेट्ड दिशानिर्देश जारी किए हैं. 

मिट्टी के बर्तन- NIN के मुताबिक, मिट्टी के बर्तन सबसे सुरक्षित कुकवेयर है. ये इको फ्रेंडली हैं और इनमें कम तेल की जरूरत होती है और साथ ही, पोषण बरकरार रहता है. 

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मेटल- एल्यूमिनियम, लोहे, अनलाइन्ड ब्रास या तांबे के बर्तनों में चटनी, सांबर जैसे एसिडिक खाने को स्टोर करना सुरक्षित नहीं है. 

स्टेनलेस स्टील- इन्हें भी सुरक्षित ही माना जाता है. 

नॉन-स्टिक पैन- अगर 170 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हीट पर गर्म किया जाए तो यह हानिकारक हो सकते हैं. अगर कोटिंग उतर जाए तो इन बर्तनों को बदल देना चाहिए. 

ग्रेनाइट स्टोन- अगर इन बर्तनों पर टेफ्लॉन की कोटिंग नहीं होती है तो इन्हें सुरक्षित माना जाता है. अगर कोटिंग है तो मीडियम-हाई तापमान पर रखें. 

डाइट के लिए जरूरी सुझाव 
प्रमुख सुझावों में से एक है कि खाना पकाने के तेल का उपयोग कम से कम करना और नट्स, तिलहन और समुद्री भोजन के माध्यम से जरूरी फैटी एसिड लेना. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से संबंधित गाइडलाइंस भी दी गई हैं. इसमें सलाह है कि प्रोटीन पाउडर का नियमित सेवन नहीं करें. NIN के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचना सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें रिस्क ज्यादा है फायदा कम. 

प्रोटीन पाउडर अंडे, डेयरी दूध, या सोयाबीन, मटर और चावल जैसे पौधों के स्रोतों से बनाए जाते हैं. "प्रोटीन पाउडर में ज्यादा शुगर, नॉन-कैलोरी स्वीटनर्स और आर्टिफिशियल स्वाद जैसे एडिटिव्स भी हो सकते हैं, इसलिए, सलाह दी जाती है कि प्रोटीन पाउडर का नियमित सेवन न किया जाए. ब्रांच्ड-चेन अमीनो एसिड से भरपूर प्रोटीन नॉन-कम्यूनिकेबल बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं. इसलिए अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन उचित नहीं है. 

अनहेल्दी डाइट है बीमारियों का कारण 
NIN की रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत से बच्चे बच्चों खराब पोषण का शिकार हैं. बच्चों में ज्यादा वजन और मोटापा बढ़ रहा है, जिससे कुपोषण का दोहरा बोझ बना हुआ है- अल्प पोषण और मोटापा दोनों एक ही समुदाय और घरों में साथ-साथ देखने को मिल रहा है. एक अनुमान से पता चलता है कि भारत में कुल बीमारियों का 56.4% बोझ अनहेल्दी डाइट यानी अस्वस्थ आहार की वजह से है.