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ई-फार्मेसियों और मेडिकल डिवाइसों के रेगुलेशन को लेकर रखा गया नए विधेयक का प्रस्ताव, यहां जानें पूरी डिटेल

ई-फार्मेसियों और मेडिकल डिवाइसेस के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान घायल या मौत होने पर मुआवजा देने को लेकर नया विधेयक को लेकर प्रस्ताव दिया है. जिसमें मुआवजा नहीं देने पर मेडिकल मैनेजमेंट को जुर्माना या सजा हो सकती है.

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हाइलाइट्स
  • मेडिकल ट्रायल में शामिल होने वालों को मिलेगा मुआवजा

  • मुआवजा नहीं देने वाले मैनेजमेंट को मिलेगी सजा

सरकार ने  ई-फार्मेसियों और चिकित्सा उपकरणों को विनियमित करने के लिए नए विधेयक प्रस्तावित किया है. इस नए विधेयक में सरकार ने दवाओं और मेडिकल डिवाइस के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान घायल या मौत होने पर मुआवजे का भुगतान नहीं करने पर जुर्माना समेत जेल का भी प्रावधान होगा. सरकार के दौरान पहली बार ऐसा प्रावधान लाया गया है. इसके साथ ही  1940 के मौजूदा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट को बदलने की मांग कर रहे है. 

वर्तमान में मुआवजा का प्रावधान 
वर्तमान मानदंडों के अनुसार, नई दवाओं और मेडिकल डिवाइस के परीक्षण में भाग लेने के कारण चोट या मौत होने पर भाग लेने वालों का मैनेजमेंट और एथिक्स कमेटी अधिक के रेगुलेशन का प्रावधान किया गया है. वहीं नई दवाइयों का परीक्षण 2019 के नियम के तहत आते है. मेडिकल डिवाइसेस के क्लिनिकल ट्रायल को ड्रग्स ट्रायल की तरह देखा जाता है. 

इसको लेकर लोगों से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सुझाव 
मौजूदा अधिनियम आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों को रेगुलेट करता है. इस नए नियम को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर डाल दिया गया है. वहीं इसपर लोगों से इसको लेकर सुझाव और आपत्तियां मांगी गई है. इस नए प्रावधान को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि समिति की सिफारिशों के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधन विधेयक, 2022 के मसौदे का प्रस्ताव किया है ताकि बदलती जरूरतों, समय और प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बिठाया जा सके.

ये होगी सजा 
इस विधेयक में औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) और चिकित्सा उपकरण तकनीकी सलाहकार बोर्ड (MDTAB) के गठन का भी प्रस्ताव है. इसमें नई प्रावधान को लेकर केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए विभिन्न संघों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। वहीं इसमें अगर मेडिकल ट्रायल के दौरान घायल या मौत होने पर मेडिकल मैनेजमेंट या मुआवजा प्रदान करने वाला विफल रहता है तो उसे जुर्माना या भी जेल हो सकती है. जिसमें कारावास को एक साल तक बढ़ाया जा सकता है.