कोरोना के मामले में देश में एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को वायरस के ट्रांसमियसन को रोकने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिशानिर्देशों का एक नया सेट जारी किया. मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पर्याप्त परीक्षण नहीं हो रहे हैं.
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक बयान जारी किया है पिछले कई हफ्तों में, कुछ राज्यों में, कोविड-19 टेस्ट कम हुए हैं और वर्तमान टेस्टिंग स्तर WHO से निर्धारित मानकों की तुलना में अपर्याप्त हैं. जिलों और ब्लॉकों के स्तर पर टेस्टिंग भी अलग-अलग हो रही है. कुछ राज्य कम संवेदनशील रैपिड एंटीजन टेस्टिंग पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं.
राज्यों में होनी चाहिए जरूरी टेस्टिंग
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देशों में जोर दिया है कि टेस्टिंग सही ढंग से होनी चाहिए. आदेश में साफ कहा गया है कि यह किसी भी उभरते हुए हॉटस्पॉट की पहचान करने और वायरस के ट्रांसमिशन को रोकने के लिए बहुत जरुरी है.
सरकार ने इन्फ्लूएंजा वायरस पर भी ध्यान दिया, जिसका हाल के महीनों में स्पाइक देखा गया है और कोरोना वायरस के साथ इसकी समानताएं हैं जो डॉक्टरों के लिए मुश्किल बढ़ाती हैं. क्योंकि डॉक्टरों के लए पहचानना मुश्किल है कि कोरोना है या इन्फ्लूएंजा. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि लोग कुछ नियम फॉलो करके इन दोनों से ही बच सकते हैं. इन दोनो वायरस से बचने के उपाय लगभग एक जैसे हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी घोषणा की कि वह 10 अप्रैल और 11 अप्रैल को एक मॉक ड्रिल आयोजित करेगा जिसमें सभी जिलों से स्वास्थ्य सुविधाओं (सार्वजनिक और निजी दोनों) के भाग लेने की उम्मीद है. मॉक-ड्रिल का विवरण 27 मार्च को होने वाली एक वर्चुअल मीटिंग में राज्यों को सूचित किया जाएगा.