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Poverty linked with mental health: मानसिक बीमारियों की वजह बन सकती है गरीबी, नए शोध में हुआ खुलासा

अगर आप गरीब हैं तो आपकी यह स्थिति आपको मानसिक तौर पर बीमार भी कर सकती है. शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च के लिए यूके बायोबैंक और साइकेट्रिक जेनॉमिक कंसोर्टियम के डेटा का विश्लेषण किया.

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हाइलाइट्स
  • गरीबी और मानसिक बीमारी के बीच मिला संबंध

  • गरीबी डिप्रेशन और सिज़ोफ्रेनिया को बढ़ाती है

अगर आपका जीवन गरीबी में कट रहा है... या आपके पास अपनी जरूरत पूरी करने के भी पैसे नहीं हैं तो ये स्थिति आपको मानसिक तौर पर बीमार कर सकती है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में ये खुलासा हुआ है कि गरीबी में रहना मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है. पिछली कई रिसर्च में गरीबी और मानसिक बीमारी के बीच एक मजबूत संबंध दिखाया जा चुका है. ये रिसर्च नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित हुई है.

गरीबी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है
हालांकि शोधकर्ता फिलहाल दोनों के बीच कारण और प्रभाव के संबंध को समझने की कोशिश कर रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि गरीबी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है. शोधकर्ताओं ने रिसर्च के लिए यूके बायोबैंक और साइकेट्रिक जेनॉमिक कंसोर्टियम के डेटा का विश्लेषण किया.

गरीबी डिप्रेशन और सिज़ोफ्रेनिया को बढ़ाती है
रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि सिज़ोफ्रेनिया और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) गरीबी में योगदान करते हैं. इसके विपरीत गरीबी डिप्रेशन और सिज़ोफ्रेनिया को बढ़ाती है. एडीएचडी वाले बेचैन किस्म के होते हैं, इन्हें ध्यान लगाने में मुश्किल आती है जबकि सिज़ोफ्रेनिया वाले लोग वास्तविकता में जीने पर भरोसा करते हैं जो उनके सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है.

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कैसे की गई रिसर्च
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने गरीबी, हाउसहोल्ड इनकम, बिजनेस इनकम और सामाजिक अभाव का डेटा लेकर गरीबी का एक माप निर्धारित किया. फिर उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर गरीबी के प्रभाव को अलग करने के लिए प्रतिभागियों की आनुवंशिक जानकारी इकट्ठा की. इसके लिए उन्होंने उन्होंने मेंडेलियन रेंडमाइजेशन पद्धति (एक विधि जो किसी परिणाम पर जोखिम के कारणात्मक प्रभाव की जांच करने के लिए जीन में मापी गई भिन्नता का उपयोग करती है) का इस्तेमाल किया.

क्या रहे परिणाम
शोधकर्ताओं ने पाया कि सिज़ोफ्रेनिया और एडीएचडी गरीबी में योगदान कर सकते हैं. संकेत मिले कि गरीबी एमडीडी और सिज़ोफ्रेनिया को बढ़ाती है. लेकिन गरीबी एनोरेक्सिया नर्वोसा के खतरे को कम करती है. यह अध्ययन ऑगस्ट हॉलिंग्सहेड और फ्रेडरिक रेडलिच की रिसर्च गरीबी, सामाजिक असमानता पर आधारित है.