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Nipah Virus: केरल में फिर सामने आए निपाह वायरस के मामले, जानिए क्या है यह, इसके लक्षण और बचाव के उपाय

Nipah Virus: निपाह एक ज़ूनोटिक बीमारी है, जिसका अर्थ है कि यह संक्रमित जानवरों या दूषित भोजन के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. यह निकट संपर्क के माध्यम से सीधे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रसारित हो सकता है.

Nipah Virus Nipah Virus

केरल में एक बार फिर निपाह वायरस का प्रकोप बढ़ने लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोझिकोड में दो मौतें घातक निपाह वायरस के कारण हुईं. मृतकों और अस्पताल में भर्ती लोगों के ब्लड सैंपल्स पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजे गए थे और इसकी पुष्टि मंगलवार शाम को हुई. 

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि इलाज करा रहे 2 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हुई है. इसमें एक 9 साल का बच्चा भी शामिल है जो फिलहाल वेंटिलेटर सपोर्ट पर है.

निपाह क्या है?
निपाह एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से चमगादड़, सूअर, कुत्ते और घोड़ों जैसे जानवरों को प्रभावित करता है. ज़ूनोटिक होने के कारण, यह संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने वाले मनुष्यों में फैल सकता है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है.

संकेत और लक्षण क्या हैं?
यह आमतौर पर बुखार और मस्तिष्क की सूजन के रूप में प्रकट होता है जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है.

  • सिरदर्द
  • सांस लेने में कठिनाई
  • खांसी और खराब गला
  • दस्त
  • उल्टी करना
  • मांसपेशियों में दर्द और गंभीर कमजोरी
  • गंभीर मामलों में दौरे पड़ना 

क्या यह तेजी से फैलने वाला वायरस है?
हालांकि, यह बीमारी COVID-19 या इन्फ्लूएंजा जितनी संक्रामक नहीं है और इससे कम समय में बड़ी संख्या में संक्रमण होने की संभावना नहीं है. इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड वायरोलॉजी-तिरुवनंतपुरम के निदेशक डॉ ई श्रीकुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि संक्रमण के पिछले इतिहास और वायरस की प्रकृति से संकेत मिलते हैं कि यह इन्फ्लूएंजा, कोविड ​​​​-19 या बहुत संक्रामक खसरा जितनी तेजी से नहीं फैल सकता है.

कैसे फैलती है बीमारी?
निपाह संक्रमित जानवरों या फलों के पेड़ों, फलों, खजूर के रस, जूस या ताड़ी पर वायरस युक्त स्राव के निकट संपर्क के बाद मनुष्यों में फैल सकता है. यह घर पर या अस्पतालों में निकट संपर्क के माध्यम से मानव से मानव में फैल सकता है. यह निपाह से पीड़ित लोगों के शवों को संभालने से फैल सकता है. 

हम अपनी सुरक्षा के लिए क्या कर सकते हैं?
डॉ. श्रीकुमार का कहना है कि अगर मामलों की पुष्टि हो जाती है, तब भी यह स्थानीय प्रकोप का संकेत देगा. इसका मतलब है कि देश के बाकी हिस्सों के लोगों को फिलहाल संक्रमण का खतरा नहीं है. जिस क्षेत्र में मामले पाए गए थे, वहां के लोगों को परिवार के सदस्यों और दो सूचकांक मामलों के अन्य संपर्कों के साथ निकट संपर्क में आने से बचना चाहिए.

साथ ही, फलों को अच्छी तरह से धोकर और छीलकर खाना चाहिए. चमगादड़ के काटने के लक्षण वाले फलों को हटा देना चाहिए और ताड़ के रस या जूस का सेवन करने से पहले इसे उबालना चाहिए. 

निपाह वायरस का निदान कैसे किया जाता है?
वास्तविक समय पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्च नाक या गले के स्वाब, सेरिब्रोस्पाइनल फ्लुइड (CSF), युरीन और ब्लड सैंपल्स के माध्यम से निपाह वायरस की पुष्टि की जा सकती है. डॉक्टर ELISA टेस्ट के माध्यम से बाद के चरणों में या ठीक होने के बाद कुछ एंटीबॉडी के लिए आपके ब्लड का परीक्षण करके संक्रमण का निदान कर सकते हैं.

निपाह वायरस का इलाज कैसे किया जाता है?
निपाह वायरस के लिए कोई एंटीवायरल नहीं हैं. लक्षण दिखने पर बचाव के उपाय किए जा सकते हैं. जैसे पानी पीना, आराम करना, मतली या उल्टी को नियंत्रित करने के लिए दवा लेना, सांस लेने के लिए इनहेलर और नेब्युलाइज़र और गंभीर मामलों में दौरों को रोकने के लिए दवाएं लेना वर्तमान विकल्प हैं. शोधकर्ता मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार का उपयोग करके अध्ययन कर रहे हैं. हालांकि, अब तक निपाह वायरस को ठीक करने के लिए कोई टीका या दवा नहीं है. 

क्या है इसकी जियोग्राफी
पड़ोसी बांग्लादेश के विपरीत भारत में निपाह का प्रकोप बहुत आम नहीं है, जहां 2001 में पहला मामला आने के बाद से लगभग हर साल इसके मामले सामने आते हैं. बांग्लादेश में निपाह ने एक मौसमी बीमारी का रूप ले लिया है, जहां लोगों को दिसंबर और मई के बीच इसका संक्रमण होता है. 

भारत में अब तक चार अलग-अलग प्रकोप हो चुके हैं, पहला मामला 2001 में बांग्लादेश के पड़ोसी पश्चिम बंगाल से सामने आया था. एक बार संक्रमित होने पर, निपाह से मृत्यु की संभावना बहुत अधिक होती है.