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अब जेनेटिक बीमारी का पहले से लग जाएगा पता, जानें क्या होती है जेनेटिक टेस्टिंग

इस टेस्ट को अनुवांशिक परीक्षण भी कहा जाता है. इससे जीन के अंदर असामान्यताएं और विकारों के बारे में जानकारी मिलती है. अब ये टेस्ट आप घर से भी करा सकते है. अलग-अलग लैब ये टेस्ट कराते हैं, घर से भी सैंपल लिए जाते है.

जेनेटिक टेस्टिंग जेनेटिक टेस्टिंग
हाइलाइट्स
  • पहली से लगाया जा सकता है जेनेटिक बीमारी का पता

  • कम उम्र में कराया जा सकता है टेस्ट

हमें यह पता चल जाए कि हमें भविष्य में कौन सी बीमारी होने का खतरा ज्यादा है तो हम एहतियात बरतना शुरू कर सकते हैं. जेनेटिक टेस्टिंग हमें यह पता लगाने में मदद करती है. जेनेटिक टेस्टिंग में आपकी जीन की स्टडी होती है. जिसके जरिए पता लगाया जाता है कि कोई ऐसा बदलाव तो जीन में नहीं है. जिसकी वजह से कोई समस्या या बीमारी आगे चल के शरीर के अंदर बन जाए.

आज इसी जेनेटिक टेस्ट के बारे में बताते है, इस टेस्ट को अनुवांशिक परीक्षण भी कहा जाता है. इससे जीन के अंदर असामान्यताएं और विकारों के बारे में जानकारी मिलती है. अब ये टेस्ट आप घर से भी करा सकते है. अलग-अलग लैब ये टेस्ट कराते हैं, घर से भी सैंपल लिए जाते है. जिसके बाद आपका ये सैंपल अलग-अलग प्रोसेस से गुजरता है. आपके सामने ये जानकारी आती है की भविष्य में क्या क्या बीमारी होने का खतरा आपको सबसे ज्यादा है. तो चलिए आपको बताते हैं कि ये प्रोसेस कैसे होता है.

ये है जेनेटिक टेस्टिंग का प्रोसेस
सबसे पहले सैंपल लिया जाता है और उसके बाद उस सैंपल से डीएनए एक्सट्रैक्शन किया जाता है. डीएनए हमारे सेल के अंदर का अनुवांशिक मटेरियल होता है. जिसको चार भागों में अलग-अलग किया जाता है. ताकि जीन की पूरी स्टडी की जा सके. इसके बाद लैब के अंदर इसका क्वालिटी चेक होता है. फिर डीएनए का जो सीक्वेंस होता है. अगर उसमें कोई बदलाव होता है तो उससे हमें पता चलता है की इससे खतरा शरीर को आगे हो सकता है या नही. कई एडवांस तकनीक का इस्तेमाल अब इस टेस्ट को पूरा करने के लिए प्रयोग में लिया जाता है, जैसे की मास अरे (Mass Array) और Genome sequencing, जीनोम सीक्वेंसिंग हमने कोरोना काल में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की है. जिसमें एक अलग स्ट्रेन का पता करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है. उसी प्रकार से जेनेटिक टेस्टिंग में भी इसका इस्तेमाल होता है.

पहली से लगाया जा सकता है जेनेटिक बीमारी का पता
Genes2me लैब के संस्थापक नीरज गुप्ता बताते हैं कि यह टेस्ट एक ऐसा विकल्प देता है, जिसके जरिए ये पहले पता लगाया जा सकता है की आपके शरीर में कौन सी बीमारी होने का खतरा है. इसके बाद उपचार और एहतियात बरते जा सकते हैं. इस टेस्ट के जरिए कई बार पहले से ही पता चल जाता है कि आप को डायबिटीज या कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा कितना है.  इस टेस्ट का रिजल्ट 3 से 4 दिन के भीतर आ जाता है. genes2me गुड़गांव की एक टेस्टिंग लैब है जो जेनेटिक टेस्ट को करवाती है. इस टेस्ट में नेक्स्ट जनरेशन सिक्वेंसिंग का इस्तेमाल होता है.  जिसमें जीन की पूरी जानकारी सामने आ जाती है। यह टेस्ट अपने शरीर का भविष्य देखने जैसा है, आपको इसके जरिए पता लग सकता है कि आपके शरीर में कितनी किस बीमारी के होने की संभावना है, अगर टेस्ट के बाद यह पता चले कि शरीर में डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा है तो ऐसे में व्यक्ति सावधानियां बरत सकता है और एक स्वस्थ जीवन जी सकता है.

कम उम्र में कराया जा सकता है टेस्ट
Genes2me टेस्टिंग लैब में Dr. Bahadur Singh Gurjar बताते है की डीएनए सीक्वेंस हम इस टेस्ट में देखते है, कई बार हो सकता है कि बदलाव हो सीक्वेंस में और शरीर पर असर ना पड़े लेकिन कई बार डीएनए सीक्वेंस के एक अकेले न्यूक्लियोटाइड में बदलाव की वजह से भी बीमारी या डिसऑर्डर हो सकते है, जैसा कि सिकल सेल एनीमिया में होता है. अगर टेस्ट में कोई बदलाव सामने आता है तो उसके बाद में आगे और भी टेस्ट कराए जाते हैं ताकि एक सटीक निष्कर्ष तक पहुंच सके और जरूरी उपचार या सावधानियां बरतना शुरू किया जा सके. यह टेस्ट कम आयु में भी कराया जा सकता है जिससे कि माता-पिता शुरुआती स्तर में ही अपने नवजात शिशु के शरीर में असामान्य विकारों का शुरुआती चरण में ही पहचान कर सकते हैं.