दिल्ली में ऑमिक्रोन BA.5 वैरिएंट के पहले कुछ मामलों मिले हैं. हाल ही में, वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने जीनोम सीक्वेंसिग डेटा की पुष्टि कर बताया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), लोक नायक अस्पताल और लीवर और पित्त विज्ञान (ILBS) संस्थान में ऑमिक्रोन BA.5 वैरिएंट के कुछ मामलों की पुष्टि की गई है.
क्या BA.5 वैरिएंट है कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह संस्करण खतरनाक दर से नहीं फैल रहा है. एम्स, लोक नायक अस्पताल और आईएलबीएस से एक या दो मामले सामने आए हैं. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि वैज्ञानिकों ने अभी तक क्लस्टर नहीं देखे हैं और यह खतरनाक रूप से नहीं फैल रहा है. इसलिए बढ़ रहे कोरोना मामलों के लिए ऑमिक्रोन BA.5 को जिम्मेदार मानना जल्दबाजी होगी.
दिल्ली सरकार के आंकड़ों से पता चला है कि दो महीने पहले, अप्रैल में जब कोरोना के मामलों बढ़े तो ऑमिक्रोन के प्रमुख उप-वंश BA.2.12 और BA.2.10 थे. इसके बाद, मई के अंत से, BA.2.38 प्रमुख सब-वैरिएंट के रूप में उभरने लगा.
हालांकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) में महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ ललित कांत ने कहा कि वर्तमान लहर के लिए BA.5 की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है और सरकार से मिलने वाले व्यापक डेटा के बाद एक उचित मूल्यांकन किया जा सकता है.
ज्यादा संक्रामक है BA.5 सब-वैरिएंट
डॉ कांत का कहना है कि ऑमिक्रोन के BA.4 और BA.5 सब-वैरिएंट पिछले BA.1 और BA.2 वैरिएंट की तुलना में लगभग 13% अधिक ट्रांसमिसिबल हैं. धीरे-धीरे ये यूरोप और यूएस में प्रमुख सब-स्ट्रेन बन रहे हैं. हालांकि, इनके अधिक खतरनाक होने का कोई प्रमाण नहीं है. दिल्ली से पहले तमिलनाडु और महाराष्ट्र में BA.4 और BA.5 के मामले देखे गए हैं.
आपको बता दें कि ओमिक्रॉन के BA.2 से ही भारत में कोरोना की तीसरी लहर आई थी. यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (ECDC) और अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) ने BA.4 और BA.5 सब-वैरिएंट्स को 'वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न' यानी 'चिंताजनक' घोषित कर रखा है. ECDC का कहना है कि अभी तक इन सब-वैरिएंट्स से गंभीर बीमारी होने के सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन ये पिछले वैरिएंट्स से ज्यादा संक्रामक हैं.