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Ovarian Cancer Research: ओवरीज़ से नहीं फैलोपियन ट्यूब से शुरू होता है ओवेरियन कैंसर, डॉक्टर से जानें इससे बचने के उपाय?

Ovarian Cancer Research: इनसे रिसर्चर उन स्पेसिफिक जेनेटिक और मॉलिक्यूलर बदलावों की पहचान कर सकते हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं. अगर रिसर्च में इन कैंसर-वाली सेल्स से जुड़े कुछ बायोमार्कर की पहचान की जाती है, तो महिलाओं में इन मार्करों का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए ब्लड टेस्ट या इमेजिंग टेक्नोलॉजी भी बनाई जा सकती है

Ovarian cancer (Representative Image) Ovarian cancer (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • कैंसर की रोकथाम में फैलोपियन ट्यूब

  • डॉक्टर से जानें कैसे बचें इससे

भारत में ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) महिलाओं में होने वाला तीसरा सबसे कॉमन कैंसर है. अब वैज्ञानिकों ने इसे लेकर एक नई स्टडी की है. इसमें सामने आया है कि ओवेरियन कैंसर ओवरीज़ से नहीं बल्कि फैलोपियन ट्यूब से शुरू होता है. रिसर्च में चूहों में कुछ विशेष सेल्स की पहचान की है जो हाई-ग्रेड सिरस ओवेरियन कार्सिनोमा (HGSOC) के लिए जिम्मेदार हैं. HGSOC ओवेरियन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप होता है. 

HGSOC  इसलिए काफी खतरनाक माना जाता है क्योंकि शुरू में इसका पता नहीं चल पाता है. इसके ट्रीटमेंट के ऑप्शन भी काफी सिमित हैं. ज्यादातर रोगी पांच साल के अंदर ही इसमें अपनी जान गंवा देते हैं. अब माना जा रहा है कि इस नई खोज से ट्रीटमेंट के तरीके में बदलाव आ सकता है. 

क्या था ओवेरियन कैंसर को लेकर मानना? 
कई सालों तक वैज्ञानिकों का मानना था कि ओवेरियन कैंसर ओवरी से शुरू होता है. हालांकि, पिछले दशक में मिले प्रमाणों से संकेत मिलता है कि कई ओवेरियन कैंसर फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) में शुरू होते हैं. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजिस्ट एलेक्जेंडर निकिटिन की अगुवाई में ये रिसर्च की गई है. 

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आर्टेमिस हॉस्पिटल्स (Artemis Hospitals) की Gynae ऑन्कोलॉजी की चेयरपर्सन, डॉ. रुपिंदर शेखॉन बताती हैं, "चूहों में जो कैंसर-वाली सेल्स मिली हैं उनका अध्ययन किया जा सकता है. इनसे रिसर्चर उन स्पेसिफिक जेनेटिक और मॉलिक्यूलर बदलावों की पहचान कर सकते हैं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं. अगर रिसर्च में इन कैंसर-वाली सेल्स से जुड़े कुछ बायोमार्कर की पहचान की जाती है, तो महिलाओं में इन मार्करों का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए ब्लड टेस्ट या इमेजिंग टेक्नोलॉजी भी बनाई जा सकती है. सबसे जरूरी है कि ओवेरियन कैंसर का पता लगाया जाए, क्योंकि ये अक्सर चुपचाप बढ़ता है. शुरुआत में ही इसे डायग्नोस करना जरूरी होता है.”

कैंसर की रोकथाम में फैलोपियन ट्यूब
रिसर्च के बारे में डॉ. रुपिंदर शेखॉन कहती हैं, "हालिया शोध से पता चलता है कि कई ओवेरियन कैंसर वास्तव में ओवरी के बजाय फैलोपियन ट्यूब में शुरू हो सकते हैं. अगर यह साबित होता है, तो ट्रीटमेंट में काफी बदलाव आ सकते हैं. जिन महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का ज्यादा जोखिम है, उनके लिए फैलोपियन ट्यूब को हटाना (salpingectomy) एक अच्छा उपाय हो सकता है.”

रिसर्च टार्गेटेड थेरेपी के नए रास्ते खोलेगी
हालांकि ये रिसर्च कहीं न कहीं आशा लेकर आई है. रिसर्चर अभी इसे HGSOC को लेकर और रिसर्च कर रहे हैं. वे उन चीजों का पता करने में लगे हैं, जो कैंसर सेल्स के बनने को ट्रिगर करते हैं.

इसे लेकर डॉ. रुपिंदर शेखॉन आगे कहती हैं, "यह खोज टार्गेटेड थेरेपी के नए रास्ते खोलती है. जेनेटिक म्यूटेशन को समझकर, हम ऐसे ट्रीटमेंट ला सकते हैं जो कैंसर सेल्स को शुरुआत में ही निशाना बना लें.”

महिलाएं खुद को इस कैंसर से कैसे बचा सकती हैं?
हालांकि ओवेरियन कैंसर को पूरी तरह से रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, महिलाएं अपने जोखिम को कम करने के लिए कुछ कदम उठा सकती हैं. डॉ. रुपिंदर शेखॉन ने इसे लेकर कुछ सलाह दी है: 

1. परिवारिक इतिहास: अगर आपके परिवार में ओवेरियन कैंसर का इतिहास है, तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें. जोखिम को देखकर  जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic testing) की सलाह दी जा सकती है. 

2. हार्मोन थेरेपी: मेनोपॉज़ के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (hormone replacement therapy) का उपयोग ओवेरियन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है. अगर आप हार्मोन थेरेपी पर विचार कर रही हैं, तो अपने डॉक्टर से इस पर चर्चा करें. 

3. कॉन्ट्रासेप्शन: पांच या ज्यादा साल तक ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव (oral contraceptives) का उपयोग ओवेरियन कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है.

4. सर्जिकल ऑप्शन: जिन महिलाओं को इससे ज्यादा खतरा है, उनके लिए फैलोपियन ट्यूब को हटाने जैसे उपाय (tubal ligation or salpingectomy) ओवेरियन कैंसर के होने की संभावना को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

5. नियमित चेकअप: नियमित पेल्विक एग्जाम (Routine pelvic exams) और कोई भी चिंता होने पर या कोई लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से बात जरूर करें.