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Padwoman Rakhi Gangwar: यूपी की इस टीचर ने शुरू किया फ्री सेनेटरी पैड बैंक, लोगों को जागरूक कर अपने गांव को बनाना चाहती हैं 'कपड़ा मुक्त'

Padwoman Rakhi: 2016 में राखी सहायक अध्यापक के रूप में लगी थीं, पढ़ाते हुए अब उन्हें करीब 7 साल हो चुके हैं. पिछले 5 साल से राखी बेसिक शिक्षा में तैनात हैं. 2018 से राखी मिशन शक्ति और नारी शक्ति पर काम कर रही हैं.

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हाइलाइट्स
  • 50 प्रतिशत महिलाएं करती हैं कपड़े का इस्तेमाल 

  • पीरियड्स को लेकर समझ बहुत जरूरी है 

भारत में हर साल कई बच्चियों और महिलाओं को पीरियड्स या मासिक धर्म (Menstruation) का ज्ञान न होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ती है. लेकिन बरेली के प्राथमिक विद्यालय बौरैया की शिक्षिका राखी गंगवार (Rakhi Gangwar) ने ठान लिया है कि वे महिलाओं को इससे मुक्ति दिलाएंगी. राखी ने ग्रामीण क्षेत्र में बेटियों और महिलाओं को पीरियड्स के दौरान स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए अनूठी पहल की है. इसका नाम उन्होंने पीरियड बैंक रखा है. दरअसल, आर्थिक तंगी के चलते ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं और किशोरियां सेनेटरी पैड (Sanitary Pads) का इस्तेमाल नहीं कर पातीं, बस इसी को देखते हुए टीचर साहिबा ने हर महीने उन्हें सेनेटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए पैड बैंक की शुरुआत की है. 

2016 में राखी सहायक अध्यापक के रूप में लगी थीं, अब उन्हें करीब 7 साल हो चुके हैं पढ़ाते हुए. पिछले 5 साल से राखी बेसिक शिक्षा में तैनात हैं. 2018 से राखी मिशन शक्ति और नारी शक्ति पर काम कर रही हैं. पैड बैंक कैसे शुरू हुआ इसके बारे में राखी ने GNT Digital को बताया, “मैंने शुरुआत में एक सर्वे किया था कि गांव में कितनी लड़कियां पीरियड्स को लेकर जागरूक हैं. इसमें पता लगा कि वे पीरियड्स में कपड़ा इस्तेमाल करती हैं और बहुत कम ऐसी लड़कियां या महिलाएं हैं जो पीरियड्स को लेकर अच्छे से समझती हैं.”

50 प्रतिशत महिलाएं करती हैं कपड़े का इस्तेमाल 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट के मुताबिक, 15-24 साल की लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं अभी भी पीरियड्स में कपड़े का उपयोग करती हैं. इसका कारण पीरियड्स के बारे में कम जागरूकता और सही रिसोर्सेस तक उनकी पहुंच न होना है. एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि गंदे कपड़े का इस्तेमाल बार बार करना महिलाओं के लिए जानलेवा हो सकता है. 

लड़कियों के पैड न इस्तेमाल करने के पीछे के कारण को लेकर राखी कहती हैं, “लड़कियों के पैड न इस्तेमाल करने के पीछे कई वजह हैं. जैसे आर्थिक तंगी, पैड को लेकर झिझक, या उनके आसपास कोई दुकान या क्लिनिक नहीं है जहां से वे पैड ले सकती हैं. बस इसी को देखते हुए मैंने पैड बैंक शुरू किया. जहां से लड़कियां आकर पैड ले सकती हैं. मेरा मानना है कि हर गांव में ऐसी पहल की जानी चाहिए. इससे लोग जितना जागरूक होंगे उतना ही आसान लड़कियों के लिए होगा.  इसको लेकर मैं एक प्रोग्राम भी करती हूं. जिसमें पहले उन्हें कपड़े और पैड को लेकर जागरूक करती हूं. और फिर उन्हें पैड बांटती हूं.” 

पीरियड्स को लेकर समझ बहुत जरूरी है 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं (72.6%) की तुलना में हाइजीन का ध्यान रखने वाली महिलाएं 89.6% हैं. मेंस्ट्रुअल प्रोटेक्शन के स्वच्छ तरीकों का उपयोग करने वाली महिलाओं के सबसे कम प्रतिशत वाले राज्यों में बिहार (59%), मध्य प्रदेश (61%), और मेघालय (65%) हैं. जबकि पुडुचेरी (99.1%), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (98.8%) और तमिलनाडु (98.4%) जैसे राज्यों में लोग पीरियड्स को लेकर काफी जागरूक हैं. 

गांव में पीरियड्स पॉवर्टी का हाल और भी खराब है. इसे लेकर राखी कहती हैं, “जब मैंने पहली बार इसे लेकर बात की तो लड़कियां काफी शर्मा रही थीं. लेकिन फिर मैंने बताया कि ये एकदम सामान्य प्रक्रिया है. ये काफी नॉर्मल है. खुद मैं अब तक पीरियड्स को लेकर हिचकिचाती थी. लेकिन फिर धीरे-धीरे मैंने खुद समझा और महसूस किया कि ये बहुत नॉर्मल है. लेकिन समाज में अभी भी इसे लेकर काफी रूढ़िवादिता है. आप इसी से अंदाजा लगाएं कि जब मुझे ये वर्कशॉप करनी थी और लड़कियों से बात करनी थी कि कैसे उन्हें पैड का इस्तेमाल करना है तो मैंने भी अपने हेड को कह दिया था कि आप बाहर रहें. तो ये सब चीजें गांवों में काफी आम है. हालांकि अब हालात थोड़े ठीक हो रहे हैं. लड़कियां भी खुलकर बता करने लगी हैं.” 

दरअसल, पीरियड्स में डॉक्टर्स सैनिटरी नैपकिन, टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप को एक अच्छा और स्वच्छ तरीका मानते हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत में, 15-24 उम्र की 64.4 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, 49.6 प्रतिशत महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, 15 प्रतिशत स्थानीय रूप से तैयार नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं और केवल 0.3 प्रतिशत मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करती हैं. 

बस स्टैंड से लेकर, स्कूल और स्टेशन सभी जगहों पर होने चाहिए पैड बैंक 

राखी का मानना है कि स्कूल से लेकर हर बस स्टैंड और स्टेशन पर पैड बैंक होने चाहिए. राखी कहती हैं, “अभी मैं एक गांव को लेकर चल रही हूं. मैं चाहती हूं कि हर गांव में बस स्टैंड से लेकर, रेलवे स्टेशन और स्कूलों में पैड बैंक होने चाहिए. ताकि महिलाओं और हमारी बेटियों को परेशानी न देखनी पड़े. इस मुहीम को इतना आगे बढ़ाना चाहिए कि सभी महिलाओं को फायदा हो. मैं हर महीने तकरीबन 100 महिलाओं को पैड बांटती हूं. लेकिन अगर कोई चाहे तो वे स्कूल में आकर भी इसे हम से ले सकती हैं.” 

आखिर में राखी कहती हैं, “मुझे लगता है पीरियड्स को लेकर समाज में जागरूकता होनी चाहिए. ताकि अगर किसी भी महिला को अचानक से पीरियड्स हो जाएं तो लोग कम से कम इतने जागरूक तो हों कि वे उसकी मदद कर सकें और उसे गंदा न समझें. साथ ही बच्चियों के लिए यही संदेश है कि वे इसके बारे में सीख चुकी हैं तो आगे दूसरी लड़कियों को भी बताएं.