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स्वाद और सूंघने की क्षमता पर पड़ रहा है कोविड-19 का गहरा असर, ठीक होने के कई महीनों बाद भी नहीं आ रहा टेस्ट और स्मेल

कोरोना में स्वाद और सूंघने की क्षमता का चले जाना बहुत ही कॉमन लक्षण थे और बहुत से लोगों ने इन्हीं लक्षणों से पता लगाया कि शायद वे कोरोना संक्रमित हैं. लेकिन अब परेशानी यह है कि कोरोना से ठीक हो चुके बहुत से लोगों ने आज अपनी सूंघने और स्वाद की क्षमता खो दी है. यह समस्या और गंभीर होती जा रही है क्योंकि बहुत से लोगों को सामान्य चीजों में से बहुत अजीब गंध या स्वाद आ रहा है. 

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हाइलाइट्स
  • स्वाद और गंध पर पड़ रहा है कोरोना का लंबा प्रभाव

  • ठीक होने के कई महीने बाद भी नहीं आ रहा टेस्ट और स्मेल

पूरी दुनिया पिछले दो सालों से कोरोना महामारी से जूझ रही है. हालांकि, आज बहुत हद तक हमारे मेडिकल एक्सपर्ट, साइंटिस्ट और अन्य विशेषज्ञों के कारण हम इस महामारी से लड़ने में सक्षम हैं. लेकिन एक समय था जब कोरोना के लक्षणों और इलाज के बारे में किसी को ज्यादा नहीं पता था. 

और अभी भी बहुत से लोग कोरोना से ठीक होने के बावजूद इसके प्रभाव को झेल रहे हैं. जी हां, कोरोना में स्वाद और सूंघने की क्षमता का चले जाना बहुत ही कॉमन लक्षण थे और बहुत से लोगों ने इन्हीं लक्षणों से पता लगाया कि शायद वे कोरोना संक्रमित हैं. 

लेकिन अब परेशानी यह है कि कोरोना से ठीक हो चुके बहुत से लोगों ने आज अपनी सूंघने और स्वाद की क्षमता खो दी है. यह समस्या और गंभीर होती जा रही है क्योंकि बहुत से लोगों को सामान्य चीजों में से बहुत अजीब गंध या स्वाद आ रहा है. 

सामान्य गंध भी नहीं बर्दाश्त कर पा रहे: 

यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली एनी-हेलोइस डौटेल ने कोविड से ठीक होने के चार महीने बाद भी कुछ ढंग से नहीं खा पा रही थीं. उनके लिए अपने आसपास की चीजों की गंध को बर्दाश्त करना भी मुश्किल हो रहा था. उनका कहना ही कि वह अपने शरीर की गंध को नहीं झेल पा रही थीं और दिन में कम से कम 5 बार नहा रही थीं. 

उनकी स्वाद और सूंघने की क्षमता चले जाने के कारण उनकी ज़िन्दगी एकदम बदल गई. वह पहले की तरह न तो खाना एन्जॉय कर पा रही थीं और न ही अपने आसपास की चीजों को. उन्हें बहुत से खाने और सामान्य चीजों में से ऐसी गंध आती जैसे सीवेज और सड़ी मछली की होती है. 

यूके में पीड़ित हैं लगभग 5 लाख लोग: 

स्वाद और गंध विकार वाले लोगों के लिए यूके स्थित सहायता समूह एब्सेंट काम कर रहा है. महामारी से पहले तक  उनके पास मात्र 1,500 सदस्यों का बेस था. लेकिन अब दुनिया भर में इसके 76,000 सदस्य हैं. 

ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स का अनुमान है कि यूके में 500,000 से अधिक लोग एक वर्ष से अधिक समय से कोविड के लक्षणों से पीड़ित हैं. गंध और स्वाद जाने को मेडिकल की भाषा में एनोस्मिया (anosmia) कहते हैं. 

गंध या स्वाद जाना है खतरनाक:

सूंघने या स्वाद की क्षमता जाने के बहुत से खतरे हो सकते हैं. जिनसे सावधान रहने की जरूरत है. जैसे मरीज को बासी या ताजा खाने में फर्क करना मुश्किल हो जाता है. घर में अगर गैस का लीकेज हो रहा हो तो भी गंध का पता नहीं चलता है. गंध और स्वाद जाने के मनोवैज्ञानिक असर भी हो सकते हैं, जैसे मरीज का खाने-पीने से मन हट जाना और उदास रहना.

स्मेल-ट्रेनिंग से मिल सकती है मदद: 

स्वाद और गंध चले जाने के कारण लोगों की ज़िन्दगी बदलने लगती है और लोग इस बदलाव को आसानी से अपना नहीं पाते हैं. कई बार वे डर जाते हैं तो कई बार मानसिक तनाव लेने लगते हैं कि ये कब लौटेगा या फिर लौटेगा भी या नहीं. पर इस बारे में आश्वस्त करते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मरीज को स्मेल एंड टेस्ट ट्रेनिंग लेनी चाहिए. 

जैसे मरीज तेज गंध वाली खाने की चीजें सूंघे, जैसे रसोई में मिलने वाले मसाले, हींग, संतरा. आंखों पर पट्टी बांधकर सूंघे ताकि उनक दिमाग सक्रिय हो.