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ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों के दूसरे वेरिएंट के रोगियों की तुलना में अस्पताल जाने की संभावना कम, स्टडी से हुआ खुलासा

अध्ययन में पाया गया कि वर्तमान (चौथी) लहर के दौरान  ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में, पिछली (तीसरी) लहर में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हुए लोगों की  तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 80% कम थी और साथ ही गंभीर बीमारी विकसित होने की संभावना भी 70% कम थी.

पॉपुलेशन इम्युनिटी गंभीर स्थिति से बचाने का कारण हो सकता है और ये भारत जैसे देशों पर भी लागू होता है. पॉपुलेशन इम्युनिटी गंभीर स्थिति से बचाने का कारण हो सकता है और ये भारत जैसे देशों पर भी लागू होता है.
हाइलाइट्स
  • अस्पताल में भर्ती होने के बाद स्थिति हो सकती है गंभीर 

  • पॉपुलेशन इम्युनिटी गंभीर स्थिति से बचाने का कारण

दक्षिण अफ्रीका से ओमिक्रॉन से जुड़ी एक राहत भरी खबर आई है. दक्षिण अफ्रीका में की गई एक स्टडी में ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित लोगों में अक्टूबर और नवंबर के बीच दूसरे वेरिएंट से संक्रमित हुए लोगों की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 80% कम पाई गई. पहले अध्ययन में पाया गया कि वर्तमान (चौथी) लहर के दौरान  ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में, पिछली (तीसरी) लहर में डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हुए लोगों की  तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 80% कम थी और साथ ही गंभीर बीमारी विकसित होने की संभावना भी 70% कम थी.

अस्पताल में भर्ती होने के बाद स्थिति हो सकती है गंभीर 

लेकिन, महत्वपूर्ण रूप से यह पाया गया कि यदि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने जरूरत पड़ती है, तो उनकी स्थिति गंभीर होने की संभावना चल रही लहर के दौरान दूसरे वेरिएंट से संक्रमित हुए लोगों जितनी ही है. ये सारे अध्ययन गौटेंग जहां ओमिक्रॉन बहुत व्यापक रूप से फैला था, पर केंद्रित थे. एक दूसरे अध्ययन में और बाद में बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में, दक्षिण अफ्रीकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि रोग की गंभीरता में कमी की संभावना गौटेंग में कोविड-19 के पूर्व जोखिम की उच्च दर के कारण थी. दोनों अध्ययन अभी भी शुरुआती आंकड़ों पर आधारित हैं और इन पर बहुत विश्वास नहीं किया जा सकता.

पॉपुलेशन इम्युनिटी गंभीर स्थिति से बचाने का कारण

"ये परिणाम उप-सहारा अफ्रीका के देशों में सामान्य होने की संभावना है, जिनमें इससे पहले  संक्रमण बुरी तरह फैला था लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह तस्वीर उन देशों में समान होगी जहां टीकाकरण के उच्च स्तर हैं और बहुत काम लोग संक्रमित हुए हैं. जहां बेसिक महामारी विज्ञान बहुत अलग है," नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज में सेंटर फॉर रेस्पिरेटरी डिजीज एंड मेनिनजाइटिस के प्रोफेसर, चेरिल कोहेन ने एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा. उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि दो साल बाद पॉपुलेशन इम्युनिटी गंभीर स्थिति से बचाने का कारण हो सकता है और ये भारत जैसे देशों पर भी लागू होता है."