कोरोना वायरस अभी भी गया नहीं है. केस अभी भी आ रहे हैं. इससे बचने के लिए लगातार लोगों को वैक्सीन लेने की सलाह दी जा रही है. इसके लिए अभी देश में बूस्टर डोज दी जा रही है.हालांकि अभी भी कोई नहीं जानता है कि कोरोना वायरस से पूरी तरह से बचने के लिए कब तक हमें समय-समय पर डोज लेनी पड़ सकती है. लेकिन अब शोधकर्ताओं ने संकेत दिया है कि जिन लोगों को तीन डोज मिल चुकी हैं, वे वैक्सीन सीलिंग के करीब पहुंच सकते हैं. इसका मतलब है कि उन्हें कोविड-19 से बचने के लिए चौथी डोज की जरूरत नहीं होगी.
लोगों पर वैक्सीन के प्रभाव को देखने के लिए की गई स्टडी
दरअसल, ये रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्प्टन के द्वारा की गई है. स्टडी में कुल 150 लोगों को शामिल किया गया था. इन सभी लोगों की जांच वैक्सीन लगने से पहले और बाद में की गई. इनके अलावा, शोधकर्ताओं ने उन लोगों की भी जांच की जिन्हें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो डोज और उसके बाद एक फाइजर बूस्टर दिया गया था. इसके बाद इन लोगों को चौथी डोज के रूप में मोडर्ना या फाइजर वैक्सीन दी गई थी.
इस स्टडी में वो लोग भी शामिल थे जिन्हें पहले फाइजर की 3 डोज और फिर फाइजर वैक्सान या फिर आधी मोडर्ना की डोज दी गई थी. इन्हें बस हल्का-सा सिर दर्द या थकान के अलावा किसी को कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं हुआ.
कैसे की गई रिसर्च?
रिसर्च के लिए लोगों के अलग-अलग समय पर एंटीबॉडी लेवल चेक की गई. इसके लिए ब्लड सैंपल लिए गए और उनकी जांच की गई. जैसे- तीसरी डोज के 28 दिन बाद, चौथी बूस्टर के ठीक पहले और फिर चौथी डोज के 14 दिन बाद.
क्या आया रिसर्च में सामने?
जिन लोगों को इस जांच में शामिल किया गया था उनमें तीसरी और चौथी डोज के बीच वाले वक्त में एंटीबॉडी लेवल काफी अच्छा रहा. यहां तक कि चौथी डोज के बाद लोगों में एंटीबॉडी लेवल 12 से 16 गुणा ज्यादा नोटिस किया गया. लेकिन कुछ लोगों ऐसे भी रहे जिनमें कोई खास फर्क देखने को नहीं मिला. चौथी डोज के बाद भी उनका एंटीबॉडी लेवल उतना ही रहा.
लीड साइंटिस्ट प्रॉफेसर सौल फॉस्ट कहते हैं कि हो सकता है एक पॉइंट पर जाने का बाद हमें इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए किसी भी डोज की जरूरत न पड़े क्योंकि हमारा बेसलाइन रिस्पांस पहले ही हाई रहेगा.