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Winters and Pneumonia: सर्दियों में बढ़ रहा निमोनिया का खतरा, फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव

पूरी तरह से ठीक होने के लिए निमोनिया का समय पर निदान और इलाज करना जरूरी है.  सर्दियों में अगर आपको सीने में तकलीफ, खांसी, सुस्ती, ठंड लगना, बुखार, उल्टी हो रही है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

Winters and Pneumonia Winters and Pneumonia
हाइलाइट्स
  • करें निमोनिया से खुद का बचाव

  • फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है निमोनिया 

सर्दियों का मौसम अपने साथ हवा में ठंडक लेकर आता है. लेकिन कई लोगों इम्युनिटी कमजोर हो जाने से वे बड़ी बड़ी बीमारी का शिकार हो जाते हैं. जैसे-जैसे सर्दियां बढ़ती जाती हैं वैसे-वैसे निमोनिया के मामले भी बढ़ते जाते हैं. इसमें सबसे जल्दी फंसते हैं वो लोग जो COPD, अस्थमा, कम इम्यूनिटी या डायबिटीज या फिर ब्लड प्रेशर से पहले से ही पीड़ित होते हैं. उनके लिए निमोनिया का खतरा दोगुना हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि वे सावधानी रखें.

फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है निमोनिया 

निमोनिया एक या दोनों फेफड़ों की वायु थैलियों में सूजन पैदा कर सकता है और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों, बुजुर्गों या बच्चों में गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है. सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से बीमारी का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि लोग घर के अंदर ही रहते हैं जिससे रोगाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल जाते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप इस खतरनाक बीमारी से बच सकें, और इससे लड़ने के लिए आपको अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करने बहुत जरूरी हैं. 

कैसे बचें इससे?

निमोनिया एक संभावित गंभीर सांस से जुड़ा रोग है जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है. लेकिन यह उन लोगों के लिए और भी खतरनाक हो जाता है जिनका लाइफस्टाइल अच्छा नहीं होता है. इन चीजों में तनाव, खराब आहार और नींद की कमी आदि शामिल हैं, जो हमारे शरीर की सुरक्षा को कमजोर करते हैं. 

निमोनिया क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?

पूरी तरह से ठीक होने के लिए निमोनिया का समय पर निदान और इलाज करना जरूरी है.  सर्दियों में अगर आपको सीने में तकलीफ, खांसी, सुस्ती, ठंड लगना, बुखार, उल्टी हो रही है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. निमोनिया आमतौर पर बच्चों और वयस्कों दोनों को प्रभावित कर सकता है. निमोनिया में सीने में परेशानी, खांसी, बलगम निकलना, सुस्ती, पसीना, ठंड लगना, बुखार, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण शामिल हैं. सही समय पर इसका इलाज न करने से फेफड़ों में फोड़ा जैसी जटिलताएं हो सकती हैं. 

कैसे करें निमोनिया से खुद का बचाव? 

नियमित रूप से हाथ धोने और बीमार लोगों से बचने के अलावा निमोनिया के खतरे को कम करने के लिए और भी बहुत कुछ किया जा सकता है. आपको सबसे पहले एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से शुरुआत करनी होगी. अपनी डाइट में मौसमी फल, प्रोबायोटिक्स शामिल करें और फेफड़ों की क्षमता में सुधार के लिए कसरत और सांस से जुड़े व्यायाम करें. 

अच्छा पोषण, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि और पर्याप्त आरामदायक नींद सबसे जरूरी है. आप खट्टे फल, लहसुन और दही जैसी चीजें भी अपने खाने में शामिल कर सकते हैं. इससे आपकी इम्यूनिटी पावर मजबूत होगी और इससे बैक्टीरिया आपको प्रभावित नहीं कर सकेंगे.

विशेष रूप से बुजुर्गों को एक स्वस्थ दिनचर्या बनाने की जरूरत है. स्वस्थ जीवन शैली को प्राथमिकता देने से निमोनिया के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके अलावा, ज्यादा शराब के सेवन के कारण हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है जिससे हम बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं. 

बच्चों को निमोनिया से कैसे बचाएं? 

अगर किसी बच्चे को निमोनिया हो जाता है तो एक्सपर्ट्स के मुताबिक उनका वैक्सीनेशन जरूरी है. इन वैक्सीनेशन के लिए शेड्यूल बनाए रखना महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, नियमित चिकित्सा जांच और परामर्श की सलाह दी जाती है. उन्हें सिखाएं कि कैसे वे स्वच्छता पर ध्यान दें. बच्चों को भीड़-भाड़ वाले इलाकों या बीमार लोगों के संपर्क से बचने की सलाह दी जाती है.