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सर्दी और प्रदूषण से निमोनिया का शिकार हो रहे हैं बच्चे, डॉक्टर्स से जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

सर्दियों में बच्चों को निमोनिया होने का खतरा होता है. ऐसे में अगर लक्षणों को समय से पहचान कर इलाज शुरु कर दिया जाए तो बच्चों का बचाव कर सकते हैं. 

निमोनिया से बच्चों का करें बचाव निमोनिया से बच्चों का करें बचाव
हाइलाइट्स
  • बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए

  • छाती में दर्द इसका लक्षण है

सर्दी, प्रदूषण बढ़ने की वजह से बच्चे निमोनिया की चपेट में हैं. जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई गई है, उन्हें इससे अधिक खतरा है. और जब बात दिल्ली जैसे शहर की हो तब प्रदूषण के जरिए सबसे ज्यादा बीमारियां यहीं फैलती हैं. फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन व पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता कहना है कि ओपीडी में बच्चे निमोनिया से ग्रस्त मिल रहे हैं. बच्चों की मौत की प्रमुख वजह निमोनिया होता है. निमोनिया के लक्षणों को समय से पहचान कर इलाज शुरु कर बच्चों का बचाव कर सकते हैं. 

बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए

दरअसल, इस मौसम में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है. बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए. उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें. कान ढककर रखें, सर्दी से बचाएं. बच्चों में तेज सांस लेना, सीने में घरघराहट आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं. पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है. जबकि खसरा एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो खसरा वायरस के कारण होता है. बुखार और चकत्ते के अलावा कान में संक्रमण, दस्त और निमोनिया जैसी विभिन्न बीमारियां होने संभावना रहती है. खसरे से बचाव के लिए टीकाकरण अत्यधिक प्रभावी है.

कैसे होते हैं बच्चे बीमार

संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर हवा में बूंदें फैलती हैं. नतीजतन, जब अन्य लोग उन्हें सांस लेते हैं, तो वे संक्रमित हो सकते हैं. कोरोना काल नियमित टीकाकरण प्रभावित रहा है. इसकी वजह से बच्चे वैक्सीन का पूरा कोर्स नहीं कर पाए हैं. इसलिए जरूरी है कि बच्चों का समय से टीकाकरण कराएं. फेफड़ों का संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगल संक्रमण से होता है. जुकाम एक तरह की एलर्जी है, जिसके लक्षण नाक बहना और गले से बलगम है. जब हमारे श्वसन तंत्र के साथ पस और पानी का मिश्रण बनना इंफेक्शन निमोनिया का संकेत है. निमोनिया की वैक्सीन पैदा होने की पहली डोज छह सप्ताह, दूसरी 10 सप्ताह तीसरी 14 सप्ताह और बूस्टर डोज 18 महीने के बाद लगाई जाती है. 

निमोनिया के लक्षण क्या हैं?

-छाती में दर्द, खासकर जब आप सांस लेते हैं या खांसते हैं.

-कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी. बलगम पीला, हरा यहां तक ​​कि खून के रंग जैसे अलग-अलग हो सकता है.

-अत्यधिक थकान.

-भूख में कमी.

-बुखार.

-पसीना और ठंड लगना.

-जी मचलाना और उल्टी.

निमोनिया से बचाव कैसे करें?

निमोनिया से बचने का सबसे अधिक और बेस्ट तरीका है टीकाकरण. न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन आपको बैक्टेरियल निमोनिया से बचा सकती हैं. इसके साथ ही साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से कई बार हाथों को धोते रहें. निमोनिया संक्रमित लोगों की ड्रॉपलेट से फैलता है इसलिए आप ऐसे लोगों से फेस टू फेस संपर्क न करें. खांसते और छींकते समय मुंह को ढंक लेना चाहिए. आप अपनी कोहनी पर छींक कर खुद के हाथों को संक्रमित करने से बच सकते हैं.