रेड मीट बहुत से लोग शौक से खाते हैं. रेड मीट को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. लेकिन इसके नुकसान भी हैं. अगर आप भी हफ्ते में दो से तीन बार रेड मीट खाने का शौक रखते हैं, तो सावधान हो जाएं.
एक रिसर्च के मुताबिक रोजाना एक क्वार्टर रेड मीट जैसे हॉट डॉग, लंच मीट और बेकॉन का सेवन करने से डिमेंशिया का खतरा होता है. वैज्ञानिकों की टीम ने इस रिसर्च के लिए 130,000 से ज्यादा लोगों की जांच की.
डिमेंशिया (Dementia) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान की मेमोरी लॉस, संचार क्षमता और रोजमर्रा के काम भी प्रभावित होने लगते हैं.
नट्स, बीन्स से कम होता है जोखिम
रिसर्च के परिणाम फिलाडेल्फिया में आयोजित हुए अल्जाइमर एसोसिएशन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, में पेश किए गए. अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि प्रोसेस्ड रेड मीट की जगह पर एगर नट्स, बीन्स और मटर खाया जाए तो डिमेंशिया के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है.
रेड मीट खाने वालों में डिमेंशिया का जोखिम 14% ज्यादा
रिसर्च में शामिल जिन लोगों ने प्रतिदिन प्रोसेस्ड रेड मीट खाया, उनकी तुलना उन लोगों से की गई, जो प्रोसेस्ड मीट कम खाते थे, उनमें डिमेंशिया का जोखिम 14% ज्यादा पाया गया. वहीं जिन लोगों ने प्रोसेस्ड मीट की जगह नट्स खाया उन लोगों में डिमेंशिया का जोखिम 20 प्रतिशत तक कम पाया गया. सॉसेज और बेकन जैसे फूड्स में सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा इसका कारण हो सकता है.
सेहत को कैसे प्रभावित करता है रेड मीट
प्रोसेस्ड मीट के अत्यधिक सेवन से धमनियों में कोलेस्ट्रॉल प्लाक का निर्माण हो सकता है, जो एथेरोस्क्लेरोसिस में योगदान देता है और दिमाग में ब्लड फ्लो को कम करता है. ब्लड फ्लो में यह कमी दिमाग की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की डिलीवरी में बाधा डाल सकती है, जिसकी वजह से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है.
रेड मीट का अधिक सेवन करने वाले लोगों में गट बैक्टीरिया कम हो जाते हैं.लोगों को रेड मीट की जगह पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन पर ध्यान देना चाहिए.