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Prostate Cancer: अब ब्लड टेस्ट से भी हो जाएगी प्रोस्टेट कैंसर की पहचान, लाखों मरीजों को नहीं गंवानी पड़ेगी जान

दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ये कैंसर भारत के लगभग 10 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है. हालांकि इससे जुड़ी अच्छी खबर ये है कि प्रोस्टेट कैंसर का पहचान अब आसान हो गई है. 

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हाइलाइट्स
  • कैसे की गई रिसर्च

  • 2040 तक बढ़ सकते हैं कैंसर के मामले

दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ये कैंसर भारत के लगभग 10 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है. हालांकि इससे जुड़ी अच्छी खबर ये है कि प्रोस्टेट कैंसर का पहचान अब आसान हो गई है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में बताया है कि प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती स्टेज का पता अब मामूली ब्लड टेस्ट के जरिए भी लगाया जा सकता है.

मरीजों को दो ग्रुप में बांटा गया
शोधकर्ताओं ने बताया, स्वस्थ लोगों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के टिशूज और खून में आरएनए मॉलिक्यूल का स्तर अलग होता है. जैव रसायन विभाग की प्रोफेसर श्वेता कुमारी के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने 250 व्यक्तियों पर शोध किया. इन लोगों को दो समूहों में बांट दिया गया. पहले समूह में 30 स्वस्थ लोग और 35 प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित लोग थे. दूसरे समूह में 60 स्वस्थ व्यक्ति शामिल थे, जो बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) से पीड़ित थे, 50 प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे, और 20 एडवांस प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे.

कैसे की गई रिसर्च
शोधकर्ताओं ने क्यूपीसीआर नाम के टेस्ट के जरिए तीन जरूरी माइक्रोआरएनए (एमआईआरएनए) की पहचान की. उन्होंने पाया कि प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों में miRNA 4510 और miRNA 183 बहुत अधिक थे, जबकि miRNA 329 बहुत कम था.miRNA 4510 प्रारंभिक और एडवांस प्रोस्टेट कैंसर दोनों का पता लगाने में विशेष रूप से कारगर था.

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जब दोनों को मिला दिया जाए तो miRNAs 183 और 4510 100% सटीकता के साथ प्रोस्टेट कैंसर की पहचान कर सकते हैं. यह शोध प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी से जल्दी पता लगाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है. इससे उन हजारों, लाखों मरीजों की जान बच सकती है जोकि कैंसर डायग्नोस न होने की वजह से लास्ट स्टेज तक पहुंच जाते हैं.

2040 तक बढ़ सकते हैं कैंसर के मामले
हाल ही में मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रोस्टेट कैंसर के नए मामले साल 2020 में 14 लाख थे जो साल 2040 में बढ़कर 29 लाख तक होने का अनुमान है. साल 2020 में दुनियाभर में 375,000 पुरुषों की मौत प्रोस्टेट कैंसर से हुई थी और 2040 तक इन मौतों में 85 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.

इस कैंसर के लक्षणों को पहचान पाना मुश्किल होता है. ऐसे में अगर अगर समय रहते ब्लड टेस्ट के जरिए प्रोस्टेट कैंसर की पहचान करके रेडियोथेरेपी और सर्जरी का सहारा लिया जाए, तो इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है.