दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ये पुरुषों में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी में लगभग 8 में से 1 पुरुष को अपने जीवनकाल के दौरान इसका सामना करना पड़ता है. हालांकि, प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मौत के मामले काफी कम हैं. 44 में से केवल 1 पुरुष ही इस बीमारी का शिकार होता है. इसके बावजूद, प्रोस्टेट कैंसर का मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. विशेष रूप से तत्काल उपचार की जरूरत वाले इस कैंसर और दूसरे कैंसर के बीच काफी फर्क है. इसकी मॉनिटरिंग काफी जरूरी है.
रेडिएशन या सर्जरी की होती है जरूरत
परंपरागत रूप से, प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुषों को तत्काल उपचार से गुजरना पड़ता है. इसके लिए अक्सर रेडिएशन या सर्जरी की जरूरत पड़ती है. हाल के कुछ सालों में, एक्टिव सर्विलांस की वजह से इसके उपचार में काफी बड़ा बदलाव आया है.
एक्टिव सर्विलांस है कारगर
एक्टिव सर्विलांस प्रोस्टेट कैंसर के मैनेजमेंट में बहुत जरूरी है. अगर कैंसर होने के लक्षण दिखते हैं जरूरी है कि नियमित निगरानी की जाए और हो सके तो ट्रीटमेंट या मेडिकेशन पर ध्यान दिया जाए. इंतजार करने से बेहतर है कि कैंसर की निगरानी हो और तुरंत लक्षण दिखने पर डॉक्टर के पास जाया जाए.
क्या है एक्टिव सर्विलांस ?
एक्टिव सर्विलांस कैंसर के बारे में पता करने का सबसे अच्छा मेथड है. इसमें नियमित जांच और टेस्ट से ट्यूमर की मॉनिटरिंग करना शामिल है. एक्टिव सर्विलांस में अच्छी मॉनिटरिंग शामिल होती है. इसमें जरूरत पड़ने पर इलाज करने के इरादे से कैंसर पर कड़ी नजर रखने के लिए ज्यादा टेस्ट किए जाते हैं.
एक्टिव सर्विलांस से मरीजों को बड़े ट्रीटमेंट से बचने की अनुमति मिलती है. इसका उद्देश्य कैंसर पर कड़ी निगरानी रखने के साथ-साथ ट्रीटमेंट से बचना है जब तक कि वास्तव में इसकी जरूरत न हो.
मरीजों को जागरूक करने की जरूरत है
हालांकि, हाल के शोध से संकेत मिलता है कि इसके ट्रीटमेंट में रोगी और चिकित्सक के बीच का रिश्ता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कैंसर की गंभीरता और उपचार की अपेक्षाओं के बारे में मरीजों की धारणाएं उनके ट्रीटमेंट को प्रभावित कर सकती हैं.
जैसे-जैसे एक्टिव सर्विलांस को रोगियों और मूत्र रोग विशेषज्ञों के बीच स्वीकृति मिलती जा रही है, वैसे-वैसे इसके ट्रीटमेंट को बढ़ावा देने के प्रयास भी बढ़ते जा रहे हैं. लोगों को इसके प्रति जागरूक करके और रूटीन चेकअप की मदद से कई हद तक इसे कम किया जा सकता है.