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क्या है राइट टू हेल्थ, जिसे राजस्थान में लागू करने की तैयारी में है गहलोत सरकार

राजस्थान सरकार ने आज विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पेश किया, जिसमें ये कहा गया है कि राजस्थान के हर नागरिक को स्वास्थ्य का अधिकार कानूनी तौर पर मिल जाएगा. इसके बाद राजस्थान 8 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य अधिकार देने वाला पहला राज्य बन गया है.

राइट टू हेल्थ राइट टू हेल्थ
हाइलाइट्स
  • 8 करोड़ लोगों का मुफ्त में होगा इलाज

  • निजी अस्पताल भर्ती से पहले नहीं मांग सकेंगे पैसे

राजस्थान की गहलोत सरकार  विधानसभा में ‘Right To Health’ बिल पेश कर चुकी है. राजस्थान सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पेश किया, जिसमें कहा गया कि कानूनी अधिकार स्थापित करने और नागरिकों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार है. राजस्थान 8 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य अधिकार देने वाला पहला राज्य बन गया है. इस बिल के पास होने से राजस्थान के हर नागरिक को स्वास्थ्य का अधिकार कानूनी तौर पर मिल जाएगा. सरकार ने इसे पब्लिक हेल्थ का राजस्थान मॉडल बताया है, जो एडवांस पब्लिक हेल्थ के युग की शुरुआत करेगा. 

8 करोड़ लोगों का मुफ्त में होगा इलाज
इस बिल की खास बात ये है कि राजस्थान के 8 करोड़ लोगों को फ्री में इलाज मिलेगा. कैसी भी इमरजेंसी हो अगर मरीज किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भी जाता है तो वहां भी उसका फ्री इलाज होगा. इसके साथ ही सरकार प्रदेश के हर व्यक्ति का इंश्योरेंस करवाएगी. इतना ही नहीं मरीज से लेकर डॉक्टर तक के लिए इस बिल में कई प्रावधान जोड़े गए हैं.

निजी अस्पताल भर्ती से पहले नहीं मांग सकेंगे पैसे
कांग्रेस ने 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में ये वादा किया था. इस बिल के पास होने के बाद कोई भी निजी अस्पताल मरीज को भर्ती करने से पहले पैसे जमा करने के लिए नहीं कह सकेगा. अगर कोई ऐसा करते है, तो उसके ऊपर कार्रवाई होगी. स्वास्थ्य सेवा संबंधी शिकायत का स्थानीय स्तर पर 24 घंटे के अंदर निस्तारण होगा, वरना जिला अथॉरिटी को केस अपने आप चला जाएगा.

मरीज हेल्पलाइन पर दर्ज कर सकेंगे शिकायत
एक माह में जिला और उसके बाद 1 माह में स्टेट हेल्थ अथॉरिटी को प्रकरण में कार्यवाही करनी होगी. मरीज वेब पोर्टल या हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवा सकेंगे. जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण में कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया है. स्टेट अथॉरिटी में किसी आईएएस को अध्यक्ष बनाया जाएगा. 

बिल की अहम बातें
इस बिल में ये कहा गया है कि मरीज की मौत के बाद परिजन बकाया पैसा न दे सके तो भी अस्पताल शव देने से मना नहीं कर सकेंगे. मरीज के इलाज से संबंधित सारी जानकारी परिजन को देनी होगी. अस्पताल मरीज को उपचार से पहले फीस जमा कराने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे. सर्जरी, कीमोथेरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी.