हममें से बहुत लोगों को जरूरत से ज्यादा सोचने की आदत होती है. हालांकि ये तब होता है जब हम सभी अपने जीवन में ऐसी घटनाओं का अनुभव करते हैं, जो हमारे लिए चिंता या तनाव का कारण बनती हैं. ज्यादातर लोग ये नहीं समझते हैं कि ओवरथिंकिंग कोई ऐसी चीज नहीं है जो हम इसलिए करते हैं क्योंकि हम ऐसा करना चाहते हैं. ये ऐसी चीज है जिसपर हमारा कंट्रोल नहीं है. हम इसे रोक नहीं सकते हैं. हमारा मन हमेशा निगेटिव चीजों की तरफ पहले आकर्षित होता है जो हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.
रातों की नींद खराब कर सकती है ये आदत
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम कोई बात इतना ज्यादा क्यों सोचते हैं? हम हर छोटी से छोटी बात पर खुद को ज्यादा सोचने के कैसे मजबूर कर लेते हैं. ओवरथिंकिंग जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे मानसिक समस्याएं हो सकती हैं. ये आदत जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो आपकी रातों की नींद प्रभावित होने लगती है.
किन वजहों से होती है ओवरथिंकिंग
ओवरथिंकिंग का सबसे अहम कारण एंग्जाइटी है. हम परेशान हैं क्योंकि हम ज्यादा सोच रहे हैं. चिंता और ओवरथिंकिंग एक साथ मिलकर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. जब हमारा खुद पर कंट्रोल नहीं रहता तो ओवरथिंकिंग की आदलत लग जाती है. अधिक सोचने से हमारे विचारों और मन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अगर आप उन उन चीजों के बारे में ज्यादा सोचेंगे जिनपर पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है तो फिर आप ओवरथिंकिंग के शिकार हैं. हालांकि कई बार ज्यादा सोचना किसी की पर्सनैलिटी का हिस्सा हो सकता है.
मेंटल डिसऑर्डर नहीं है ओवरथिंकिंग
चिंता करने की आदत ही आगे चलकर ओवरथिंकिंग में बदल जाती है. ओवरथिंकिंग स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन का लक्षण हो सकता है. ओवरथिंकिंग मेंटल डिसऑर्डर नहीं है, लेकिन इसे जीएडी (generalized anxiety disorder) से जोड़ा जा सकता है. ओवरथिंकिंग को कम करने के लिए या दिमाग को भटकाने के लिए आप कुछ पसंदीदा काम करें.
कैसे हम ओवरथिंकिंग ट्रैप में फंसते हैं?
हम इंसान परेशान होता है तब बहुत ज्यादा सोचता है. यह चिंता और तनाव किसी भी वजह से हो सकता है. कोई अपनी नौकरी को लेकर परेशान है तो, कोई बीमारी को लेकर. हमारे आस-पास ऐसे कई लोग मिल जाएंगे. चिंताएं, परेशानियां, तनाव हर किसी की जिंदगी में होती है. ऐसे में तनाव में रहने वाला इंसान जब अकेले में होता है तो ज्यादा सोचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. हमारे दिमाग पर अच्छी घटनाओं से ज्यादा असर बुरी घटनाओं का पड़ता है. इसलिए जब भी हमारे साथ कोई बुरी घटना होती है तो दिमाग ज्यादा एक्टिव हो जाता है और वो बात लंबे समय के लिए हमारी सोच का हिस्सा बन जाती है और हम ओवरथिंकिंग ट्रैप में फंसते चले जाते हैं. इस वजह से न नींद आती है, न भूख लगती है और न ही किसी काम में मन लगता है.