दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज कराने के लिए मशक्कत करने वाले लोगों के लिए एक तसल्ली भरी खबर है. एम्स में अब रोगियों का इलाज जल्दी हो सकेगा और वेटिंग को कम करने के लिए बेड बढ़ाने की व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है. इसके अलावा आसपास के 20 अन्य अस्पतालों में रेफरल मैकेनिज्म को लेकर भी बातचीत चल रही है.
इसके मुख्य उद्देश्य ये होगा कि एम्स दिल्ली आसपास के अस्पतालों से बात करेगा जिसमें मुख्य रूप से इस मुद्दे पर चर्चा होगी कि एम्स में जो मरीज स्टेबल हो जाते हैं उन्हें बाकी की रिकवरी के लिए आसपास के अस्पतालों में रिफर किया जाएगा. इससे एम्स इमरजेंसी में लगने वाली लंबी-लंबी वेटिंग लिस्ट से मरीजों को मुक्ति मिलेगी और दूसरे अन्य सीरियस मरीजों को इमरजेंसी में एडमिशन मिल सकेगा.
बैठक में क्या हुई बातचीत
इसके लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास संस्थान के आसपास के 20 अस्पतालों के साथ बैठक करेंगे और अपने आपातकालीन वार्ड से स्थिर रोगियों के रेफरल तंत्र पर चर्चा करेंगे. इससे पहले 07 अक्टूबर को एक बैठक हुई थी जिसमें इमरजेंसी मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड द्वारा ये बात कही गई थी कि इमरजेंसी मेडिसिन के बाहर लगी पेशेंट्स की लंबी लिस्ट का कारण ये है कि जो पेशेंट्स पहले से इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं और जिनकी पहले ही स्क्रीनिंग हो चुकी है ऐसे पेशेंट्स बेड पर होते हैं जिसकी वजह से दूसरे पेशेंट्स को बाहर इंतजार करना पड़ता है.
रखा जाएगा एक रेजिडेंट डॉक्टर
बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि सभी व्यापक विशेषता क्लिनिकल विभाग मासिक आधार पर एक रेजिडेंट डॉक्टर को इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में पोस्ट करेंगे ताकि मरीजों की स्क्रीनिंग, ट्राइएज और देखभाल के लिए इमरजेंसी में उपलब्ध रेजिडेंट डॉक्टरों के पूल को बढ़ाया जा सके. इन रेजिडेंट डॉक्टरों को उस माह के लिए आपातकालीन चिकित्सा विभाग की टीम में तैनात किया जाएगा. बेड्स की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.
इसके अलावा कार्डियोलॉजी विभाग और न्यूरोलॉजी विभाग के पांच इनपेशेंट बेड भी आपात स्थिति से कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी के रोगियों के प्रवेश के लिए निर्धारित किए जाएंगे. इमरजेंसी वॉर्ड में इससे संबंधित मरीजों के लिए 5 बेड रिजर्व किए जाएंगे. किसी भी मरीज को 48 घंटे से अधिक इमरजेंसी ऑबजर्वेशन या प्रवेश बेड में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी.