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नींद का ख्याल रख दिल को रखा जा सकता है तन्दरुस्त, नहीं होगी कोई भी बीमारी

आज नींद ना आना सबसे गंभीर समस्या बन गई है. इसका सीधा रिश्ता हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से है. नींद की कमी से जूझ रहे लोगों में बेचैनी और डिप्रेशन की शिकायत सबसे ज्यादा पाई जाती है. युके बायोबैंक की रिपोर्ट के मुताबिक एक घंटे की कम नींद भी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • दिल की तंदुरुस्ती के लिए लीजिए अच्छी नींद

  • नहीं होगी हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या

युके बायोबैंक की रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी नींद लेकर दिल की बीमारी से दूर रहा जा सकता है. युके बायोबैंक की रिपोर्ट के मुताबिक एक घंटे की कम नींद भी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है. इस रिपोर्ट में ये भी खुलासा किया गया है कि 7-8 घंटे की नींद ना लेने पर सेहत के लिए खतरा बढ़ सकता है. 

गुड स्लीप फॉर गुड हार्ट

जर्नल एल्सवियर में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छी नींद न लेने वाले लोगों में आत्महत्या करने के ख्याल सबसे ज्यादा आते हैं. ऐसे लोगों में आत्महत्या के आंकड़े भी ज्यादा पाए गए हैं.  यूरोपियन हार्ट जर्नल ने अलग -अलग लोगों के सोने और जगने पर सात दिनों का एक रिसर्च किया, और ये पाया कि जिन लोगों की नींद ठीक से पूरी नहीं हो पाई है उनमें दिल की बीमारी के ज्यादा मामले सामने आए. दिल की बीमारी के मामले वाले लोगों में वैसे लोग ज्यादा थे जो 10 बजे से पहले या 11 बजे के बाद  बिस्तर पर जाते हैं. इससे ये भी साफ होता है कि कम नींद के अलावा ज्यादा सोना भी सेहत के लिए खतरनाक साबित होता है. 

एक्सेटर विश्वविद्यालय के लेखक डॉ डेविड प्लान्स ने कहा "रिसर्चर ने अलग -अलग कारकों से दिल की बीमारी होने की वजह का भी पता लगाया, लेकिन ये पाया गया कि नींद कम आना ही दिल की बीमारी का सबसे बड़ा फैक्टर है. ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन की सीनियर कार्डियक नर्स रेजिना गिब्लिन ने कहा: "इस अध्ययन से पता चलता है कि रात 10 से 11 बजे के बीच सोना ज्यादातर लोगों के लिए अपने दिल को लंबे समय तक तंदुरुस्त रखने का सबसे बेहतर ऑप्शन हो सकता है. इसलिए ये जरूरी है कि एक बेहतर नींद जरूर ली जाए. 

6 घंटे से कम नींद तो अल्जाइमर
सेंटर फॉर ह्यूमन स्लीप साइंस के मुताबिक, रोजाना 6 घंटे या उससे कम नींद लेने वाले इंसोम्निया (अनिद्रा) और स्लीप एप्निया से पीड़ित लोगों में मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी अल्जाइमर का खतरा काफी ज्यादा होता है.