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Morning Sickness: मॉर्निंग सिकनेस के बेहतर इलाज की जगी उम्मीद! प्रेग्नेंसी में क्यों पीड़ित होती हैं महिलाएं, Research में हुआ खुलासा

ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है. इस समस्या से छुटकारा मिलने की एक उम्मीद बंधी है. एक रिसर्च में मॉर्निंग सिकनेस का कारण पता चल गया है. ये रिसर्च नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है.

Pregnant Women Pregnant Women

प्रेग्नेंसी में ज्यादातर महिलाएं मार्निंग सिकनेस की समस्या से पीड़ित होती हैं. अब इस समस्या के इलाज की एक उम्मीद जगी है. एक रिसर्च में इसके कारण का पता चला है. ये समस्या एक सिंगल हार्मोन के कारण होती है. रिसर्चर्स ने कहा कि इस रिसर्च से मॉर्निंग सिकनेस के बेहतर इलाज में मदद मिल सकती है. यह रिसर्च नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है.

हार्मोन से होती है मॉर्निंग सिकनेस-
स्टडी में पहले किए गए रिसर्च की पुष्टि की गई है. जिसमें जीडीएफ15 नाम के हार्मोन की तरफ इशारा किया गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि जीडीएफ15 गर्भावस्था से पहले सभी ऊतकों में मिनिमम लेवल पर पाया जाता है. लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन की वृद्धि के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं. इसका मतलब है कि गर्भवस्था के दौरान महिला के ब्लड में सर्कुलेट होने वाले हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है.

प्रेग्नेंसी के पहले चरण में होती है दिक्कत-
दो-तिहाई से अधिक गर्भवती महिलाओं को पहले चरण के दौरान मतली और उल्टी का अनुभव होता है. जबकि करीब 2 फीसदी महिलाओं को हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम की वजह से ही पूरे गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली होती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि शायद इसलिए ही गर्भावस्था में मतली और उल्टी आम बात है. भले ही यह शुरुआती गर्भावस्था में महिलाओं के अस्पताल में भर्ती होने का कारण है, लेकिन डॉक्टर अक्सर हाइपरमेसिस को नजरअंदाज कर देते हैं और इसे मनोवैज्ञानिक लक्षण कहकर खारिज कर देते हैं.

तनाव के समय रिलीज होता है GDF15-
रिसर्च के सह-लेखक और जेनेटिसिस्ट मार्लेना फेजो ने कहा कि मैं इस पर 20 सालों से काम कर रहा हूं और अभी भी इससे महिलाओं के मरने की खबरें आ रही हैं. हार्मोन वह केमिकल है, जो पूरे शरीर को मैसेज भेजता है. जीडीएफ15 तनाव के समय बॉडी के कई टिश्यू से रिलीज होता है. इसका संकेत अत्यधिक विशेष है. हार्मोन के रिसेप्टर्स दिमाग के एक हिस्से में इकट्ठे होते हैं, जो बीमार महसूस करने और उल्टी के लिए जिम्मेदार होते हैं.

रिसर्चर्स ने ब्लड में हार्मोन की जांच की-
फेजो ने इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अपने सहयोगियों के साथ रिसर्च किया. उन्होंने गर्भवती महिलाओं के ब्लड में हार्मोन की जांच की और हाइपरमेसिस के लिए जेनेटिक रिस्क फैक्टर्स का विश्लेषण किया. रिसर्चर्स ने पाया कि हाइपरमेसिस का अनुभव करने वाली महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान GDF15 का लेवल उन महिलाओं की तुलना में अधिक था, जिनमें इसके कोई लक्षण नहीं थे. लेकिन हार्मोन का प्रभाव महिला की संवेदनशीलता और गर्भवास्था से पहले हार्मोन के संपर्क पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, रिसर्चर्स ने पाया कि जिन महिलाओं में दुर्लभ रक्त विकार होता है, जो GDF15 के गंभीर उच्च स्तर का कारण बनते हैं, उन्हें गर्भावस्वथा के दौरान मतली या उल्टी का अनुभव होता है.

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