गांवों की तुलना में शहरों की जिंदगी बेहतर मानी जाती है. खाने-पीने और खेलने-कूदने के लिहाज से ग्रामीण बच्चों के मुकाबले शहरी बच्चों को ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं, जिससे शहर में बच्चों का पालन पोषण बेहतर होता है. लेकिन हाल ही में सामने आई एक स्टडी में पता चला है कि अब गांवों में रहने वाले बच्चे शहरी बच्चों से ज्यादा सेहतमंद हैं, कद में ज्यादा लंबे भी हैं.
गांव के बच्चों की ग्रोथ है ज्यादा तेज
इंपीरियल कॉलेज लंदन की ये ग्लोबल स्टडी साइंस जर्नल नेचर में छपी है, जिसमें शहर और गांव में रहने वाले बच्चों की लंबाई और वजन के बारे में सर्वे किया गया. ये रिसर्च 200 देशों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में 5 से 19 साल तक के 7 करोड़ 10 लाख बच्चों पर की गई. इस स्टडी में साल 1990 से लेकर 2020 तक बच्चों की लंबाई और वजन का 30 साल का डेटा एनालिसिस किया गया.
शहर के बच्चों का कम है BMI
इस स्टडी में प्रमुख तौर पर ये बात सामने आई कि ज्यादातर देशों में शहरों में रहने वाले बच्चों की लंबाई और वजन का पैमाना कहे जाने वाले BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स में कमी आई है. जबकि गांव में रहने वाले बच्चों में देसी खानपान और रहन-सहन में सुधार की वजह से उनका शारीरिक विकास बेहतर हुआ है.
स्टडी में पता चला कि 21वीं सदी में शहरी बच्चों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का फायदा कम हुआ है. 1990 में शहर में रहने वाले बच्चों का BMI यानी वजन ग्रामीण बच्चों से थोड़ा ज्यादा रहता था. लेकिन 30 साल बाद 2020 तक शहरी और ग्रामीण बच्चों के बीच BMI का अंतर बहुत कम रह गया. रिसर्च हेड ने बताया कि स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य देखभाल में सुधार के कारण ग्रामीण क्षेत्र अब शहरों की बराबरी कर रहे हैं.
शहरों में खेलने कूदने के लिए नहीं है पर्याप्त जगह
रिसर्च हेड ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि शहरी बच्चों के पास खेलने कूदने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, वे हेल्दी फूड के बजाय जंक फूड ज्यादा खाते हैं. गांव के मुकाबले शहरों में बच्चे प्रदूषण के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, जिसकी वजह से उनके शारीरिक विकास पर बुरा असर पड़ता है. यही वजह है कि ग्रामीण बच्चों की तुलना में शहर में रहने वाले बच्चों में डायबिटीज और मोटापे का जोखिम ज्यादा देखा जाता है.