scorecardresearch

एक्सपर्ट्स ने बताया कौन-सी वर्क शिफ्ट टाइमिंग है सबसे बेस्ट, आप भी जानें

रिसर्च में रात वाली शिफ्ट को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है. जैसे कि नींद संबंधी दिक्कतें, हृदय रोग और मोटापा. इसके साथ इस शिफ्ट के कारण आपकी इंटरनल बॉडी क्लॉक पर भी असर पड़ता है और आंखों के नीचे काले घेरे (Dark circle) भी हो सकते हैं.

Working Hours Working Hours
हाइलाइट्स
  • रात वाली शिफ्ट के बताए गए हैं नुकसान

  • रिसर्च में रोटेटिंग शिफ्ट और फिक्स्ड शिफ्ट वालों की तुलना की गई है

हम अक्सर ऑफिस के वर्किंग टाइम को लेकर परेशान रहते हैं. जनरल शिफ्ट (9-5 बजे) वाले मॉर्निंग शिफ्ट (6-2 बजे) वालों को देखकर खुश होते हैं तो मॉर्निंग शिफ्ट वाले इवनिंग (3-12) शिफ्ट चाहते हैं. लेकिन हाल ही में एक स्टडी में बेस्ट शिफ्ट टाइमिंग बताई गई है. इसक मुताबिक जनरल शिफ्ट यानि सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे वाली शिफ्ट सबसे बेहतर है. रिसर्च के मुताबिक, ये टाइमिंग आपकी सेहत और दिमाग के लिए अच्छी है.

19,000 लोगों को किया गया इस रिसर्च में शामिल 

ऑस्ट्रिया में शोधकर्ताओं ने 2005 और 2020 के बीच पब्लिश हुई 18 रिसर्च का विश्लेषण किया.  इसमें लगभग 19,000 लोग शामिल थे. इस रिसर्च में पाया गया कि शिफ्ट की टाइमिंग हमारे दिमाग और हमारी प्रोडक्टिविटी से जुड़ी हुई है.शिफ्ट की टाइमिंग अच्छी होगी तो आप जहां एक ओर खुश रहेंगे वहीं दूसरी और आप बेहतर काम कर पाएंगे.

रात वाली शिफ्ट के नुकसान

रिसर्च में रात वाली शिफ्ट को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है. जैसे कि नींद संबंधी दिक्कतें, हृदय रोग और मोटापा. इसके साथ इस शिफ्ट के कारण आपकी इंटरनल बॉडी क्लॉक पर भी असर पड़ता है और आंखों के नीचे काले घेरे (Dark circle) भी हो सकते हैं. इसके अलावा, इस शिफ्ट से आपके दिमाग के फंक्शन करने के तरीके, मेंटल प्रोसेसिंग स्पीड और वर्किंग मेमोरी पर भी असर पड़ता है.

रोटेटिंग शिफ्ट और फिक्स्ड शिफ्ट वालों की तुलना 

2005 से 2020 के बीच पब्लिश हुई इन 18 रिसर्च में से 5 स्टडीज में फिक्स्ड शिफ्ट (Fixed Shift) वालों की तुलना नार्मल शिफ्ट (Normal Shift) वालों से की गई है. जबकि 11 स्टडीज में रोटेटिंग शिफ्ट (Rotating Shift) वालों की तुलना नॉर्मल वालों से की गई. इन 19 हजार लोगों में से आधे मेडिकल सर्विस में थे जबकि आधे पुलिस अधिकारी और आईटी कर्मचारी जैसे व्यवसायों में शामिल थे.

रिसर्च की मानें, तो ब्रिटेन में करीब 30 लाख से ज्यादा लोग नाईट शिफ्ट में काम करते हैं. ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे काम में होने वाली गलतियां और काम करने वाले एम्प्लाइज स्वस्तिक तौर पर हताश रहते हैं, जिसका असर सीधे-सीधे उनके मूड और काम पर पड़ता है.