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रिसर्चर्स को कैंसर के शोध में मिली सफलता, एनवायर्नमेंटल सिग्नल से बनते हैं कैंसरस मेलेनोमा

इस स्टडी से पता चला है कि मेलानोसाइट्स जो मेलेनोमा में बदल जाते हैं, उन्हें अतिरिक्त म्यूटेशंस की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन वास्तव में ये एनवायर्नमेंटल सिग्नल से प्रभावित होते हैं. कोशिकाएं अपने आसपास की त्वचा में पर्यावरण से प्राप्त संकेतों के अनुसार कार्य करती हैं. मेलानोसाइट्स विभिन्न वातावरणों में जीन एक्सप्रेस करते हैं, जो उन्हें या तो अनियंत्रित रूप से विभाजित होने या विभाजन को पूरी तरह से बंद करने के लिए सिग्नल देती है.

Representative image -  Cancer Research Representative image - Cancer Research
हाइलाइट्स
  • रोगियों के सैम्पल्स पर हुई स्टडी 

  • अनियंत्रित ‘सेल डिवीजन’ से होता है मेलेनोमा का जन्म 

  • एनवायर्नमेंटल सिग्नल हैं मुख्य कारण 

  • कैंसर के डेवलपमेंट को रोकने में मिलेगी मदद

कैंसर का इफेक्टिव ईलाज ढूंढने की दिशा में रिसर्चर्स को एक बड़ी सफलता मिली है. कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक मेलेनोमा के बारे में एक नया खुलासा हुआ है. ईलाइफ मैगज़ीन में प्रकाशित एक स्टडी के जरिए, हंट्समैन कैंसर इंस्टीट्यूट (एचसीआई) के पीएचडी होल्डर रिसर्चर रॉबर्ट जुडसन-टोरेस ने पता लगाया है कि मोल और मेलेनोमा कैसे बनते हैं और मोल्स मेलेनोमा में कैसे बदल सकते हैं. मोल्स और मेलानोमा दोनों त्वचा के ट्यूमर होते हैं जो मेलानोसाइट्स नामक एक ही कोशिका से आते हैं. अंतर यह है कि मोल आमतौर पर हानिरहित होते हैं, जबकि मेलेनोमा कैंसर का प्रमुख कारण बनते हैं और समय पर उपचार नहीं किए जाने पर घातक साबित होते हैं.

रोगियों के सैम्पल्स पर हुई स्टडी 

एचसीआई और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को के सहयोगियों की मदद से, वैज्ञानिकों के एक दल ने रोगियों द्वारा दान किए गए मोल और मेलेनोमा पर डिजिटल होलोग्राफिक साइटोमेट्री और ट्रांसक्रिप्टोमिक प्रोफाइलिंग का इस्तेमाल किया. ट्रांसक्रिप्टोमिक प्रोफाइलिंग रिसर्चर्स को मोल और मेलेनोमा के बीच के मॉलिक्युलर डिफरेंस के बारे में बताती  है. वहीं डिजिटल होलोग्राफिक साइटोमेट्री रिसर्चर्स को ह्यूमन सेल्स में हुए बदलाव को ट्रैक करने में मदद करती है. इस रिसर्च को लीड करने वाले जुडसन-टोरेस ने कहा, "हमने एक नए मोलेक्यूलर सिस्टम की खोज की है जो बताती है कि मोल कैसे बनते हैं, मेलेनोमा कैसे बनते हैं, और कभी-कभी मोल क्यों मेलेनोमा बन जाते हैं."

अनियंत्रित ‘सेल डिवीजन’ से होता है मेलेनोमा का जन्म 

मेलानोसाइट्स कोशिकाएं होती हैं जो त्वचा को सूरज की किरणों से बचाने के लिए रंग देती हैं. 75% से अधिक मोल्स में मेलानोसाइट्स के डीएनए अनुक्रम में विशिष्ट बदलाव, जिन्हें बीआरएफ़ जीन म्यूटेशन कहा जाता है, पाए जाते हैं. 50% मेलेनोमा में भी यही परिवर्तन देखने को मिलते हैं  और यह मुख्य रूप से कोलन और फेफड़ों के कैंसर में पाए जाते हैं. पहले यह माना जाता था कि जब मेलानोसाइट्स में केवल BRAFV600E म्यूटेशन होता है, तो सेल डिवीजन की प्रकिया बंद हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप एक मोल यानी तिल का निर्माण होता है. जब मेलानोसाइट्स में BRAFV600E के साथ अन्य म्यूटेशंस होते हैं, तो कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होती  हैं और मेलेनोमा में बदल जाती हैं.

एनवायर्नमेंटल सिग्नल हैं मुख्य कारण 

जबकि इस स्टडी से पता चला है कि मेलानोसाइट्स जो मेलेनोमा में बदल जाते हैं, उन्हें अतिरिक्त म्यूटेशंस की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन वास्तव में ये एनवायर्नमेंटल सिग्नल से प्रभावित होते हैं. कोशिकाएं अपने आसपास की त्वचा में पर्यावरण से प्राप्त संकेतों के अनुसार कार्य करती हैं. मेलानोसाइट्स विभिन्न वातावरणों में जीन एक्सप्रेस करते हैं, जो उन्हें या तो अनियंत्रित रूप से विभाजित होने या विभाजन को पूरी तरह से बंद करने के लिए सिग्नल देती है. जुडसन-टोरेस के मुताबिक़ पर्यावरण संकेतों पर निर्भर मेलेनोमा की उत्पत्ति रोकथाम और उपचार में एक नया विज़न देती है. उनके अनुसार यह जेनेटिक म्यूटेशन को रोकने और टारगेट करके मेलेनोमा का मुकाबला करने में मदद कर सकता है. इस स्टडी के आधार पर पर्यावरण को बदलकर भी  मेलेनोमा को टैकल किया जा सकता है."

कैंसर के डेवलपमेंट को रोकने में मिलेगी मदद 

इस रिसर्च को P30 CA042014, 5 फॉर द फाइट, और हंट्समैन कैंसर फाउंडेशन सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान / राष्ट्रीय कैंसर संस्थान द्वारा फंड किया गया था. पाए गए निष्कर्ष संभावित मेलेनोमा बायोमार्कर पर रिसर्च करने में मददगार साबित होंगे, जिससे डॉक्टर कैंसर के शुरूआती चरणों में हो रहे परिवर्तनों का पता लगा पाएंगे. शोधकर्ता इन आंकड़ों का उपयोग टॉपिकल एजेंटों को बेहतर ढंग से समझने में कर सकते हैं, जिससे आगे जाकर उन्हें मेलेनोमा के जोखिम को कम करने, डेवलपमेंट में देरी या रोकने के लिए और संभावित मेलेनोमा का जल्दी पता लगाने में मदद मिलेगी.