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Rheumatic Diseases linked with childlessness: अर्थराइटिस की वजह से टूट सकता है माता-पिता बनने का सपना

रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन ने फिनिश नेशनल वर्ल्ड वाइड के डेटा का इस्तेमाल करके रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर ऑटोइम्यून डिजीज के प्रभाव की जांच की है.

Rheumatic diseases/Image Credit-Unsplash/GMB Fitness Rheumatic diseases/Image Credit-Unsplash/GMB Fitness
हाइलाइट्स
  • गठिया से बढ़ता है निःसंतानता का जोखिम

  • जानिए कैसे की गई रिसर्च

नए शोध में पाया गया है कि अर्थराइटिस (Arthritis), मांसपेशियों में दर्द संबंधी बीमारियों से संतानहीनता, प्रीमैच्योर डिलीवरी और कम वजन वाले बच्चों को जन्म देने जैसी प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. रुमेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन ने फिनिश नेशनल वर्ल्ड वाइड के डेटा का इस्तेमाल करके रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर ऑटोइम्यून डिजीज के प्रभाव की जांच की है.

कैसे की गई रिसर्च
शोधकर्ताओं ने पाया कि 1964 और 1984 के बीच फिनलैंड में पैदा हुए लोगों में से लगभग 8 प्रतिशत महिलाओं और पुरुषों में प्रजनन साल (Reproductive years) से पहले या उस दौरान एक ऑटोइम्यून बीमारी का निदान (diagnosed) किया गया था. इनमें से कई ऑटोइम्यून बीमारियों का बच्चों की संख्या पर बहुत कम प्रभाव पड़ा, लेकिन महिलाओं में निःसंतानता (childlessness) का रिस्क ज्यादा था.

रिसर्च कर रही टीम ने पाया कि सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाली टॉप तीन बीमारियाँ एडिसन रोग, बच्चों में होने वाला अर्थराइटिस, और विटामिन बी 12 की कमी से एनीमिया थीं. ऑटोइम्यून डिजीज से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का इम्यून सिस्टम हेल्दी टिशूज और शरीर के बाकी अंगों पर हमला करता है. 

गठिया से बढ़ता है निःसंतानता का जोखिम
एडिसन डिजीज में adrenal glands पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं करती हैं, जबकि  juvenile idiopathic arthritis एक गठिया संबंधी स्थिति है जो बच्चों या किशोरों को प्रभावित करती है. गठिया और दूसरी इम्यून संबंधी बीमारियां childlessness यानी निःसंतानता का रिस्क बढ़ा देती हैं.

फैमिली प्लानिंग से पहले करें विचार
शोधकर्ताओं का कहना है कि अर्थराइटिस बीमारियों से पीड़ित पुरुषों और महिलाओं दोनों को अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से फैमिली प्लानिंग पर चर्चा की जानी चाहिए. गठिया संबंधी बीमारियों से पीड़ित महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान उचित दवाओं का ध्यानपूर्वक पालन किया जाता है, जिससे निःसंतानता का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है.