अलग-अलग प्रकार के फंगस जब संक्रमण का कारण बनते हैं तो उसे फंगल इन्फेक्शन कहते हैं. यह हमारे इम्यूमिटी को कमजोर करता है. फंगल इन्फेक्शन एक छोटो से दाद-घाव से शुरू होकर जानलेवा इन्फेक्शन जितना बड़ा हो सकता है. फंगल इन्फेक्शन बच्चे, युवा और बुजुर्ग किसी को भी हो सकता है. यह संक्रमण शरीर के किस्सी भी हिस्से पर हो सकता है. बारिश के मौसम में फंगल इन्फेक्शन का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है.
बारिश के मौसम में ज्यादातर बीमारियां बैक्टीरिया, फंगस और कीड़ों-मकोड़ों से होने वाले इंफेक्शन और एलर्जी से होती हैं. बारिश में भीगने की वजह से या फिर काफी देर तक पानी में रहने की वजह से फंगल इन्फेक्शन शरीर में जगह बना लेते हैं. लंबे समय तक गीले कपड़े पहने रहने से लोग सबसे ज्यादा संक्रमण के शिकार होते हैं.
एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है संक्रमण
शरीर में कहीं भी हल्की सी नमी और गंदगी आसानी से बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन का कारण बन जाती है. मॉनसून के मौसम के दौरान गर्म और आर्द्र स्थितियां सूक्ष्मजीवों जैसे फंगल और बैक्टीरिया के बढ़ने, पनपने और त्वचा में संक्रमण का कारण बनने के लिए एक आदर्श वातावरण बनाती हैं. ऐसे में दाद, एथलीट फुट, नाखून में फंगल इंफेक्शन, एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. ऐसे अधिकांश संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी फैल सकते हैं. इसलिए इनको लेकर और भी सावधानी रखनी जरूरी होती है. कई बार संक्रमण पैरों की त्वचा से हाथों तक या शरीर के अन्य हिस्सों तक भी बढ़ सकता है.
फंगल इन्फेक्शन के लक्षण
1. त्वचा पर रैशेज होना.
2. स्किन के ऊपर पपड़ी आना या खाल निकलना.
3. संक्रमण वाले हिस्से पर खुजली या दर्द होना.
4. त्वाचा का लाल होना.
5. त्वाचा पर दाने निकलना.
6. स्किन से सफेद पाउडर की तरह पदार्थ आना.
7. त्वचा में दरारे होना.
फंगल संक्रमण से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान
1. गीले कपड़े पहनने से बचें.
2. बारिश में भीगने के बाद तुरंत शरीर को पूरी तरह सुखाएं और साफ व सूखे कपड़े पहनें.
3. हाथ-पैरों को साफ रखें और गीले मोजे या फुटवेयर पहनने से बचें.
4. यदि कोई व्यक्ति संक्रमित है तो उसका तौलिया, कंघा, कपड़े आदि का इस्तेमाल अन्य स्वस्थ व्यक्ति न करें.
5. प्रभावित जगह पर डॉक्टर की सलाह से किसी क्रीम या लोशन का प्रयोग करें.
6. यदि पैरों में दिक्कत हो तो जूते पहनने से बचें.
7. रोज नहाएं और शरीर को साफ रखें.
8. सामान्य साबुन या शैम्पू की जगह मेडिकेटेड साधनों का प्रयोग करें.
9. ढीले-ढाले कॉटन के कपड़े पहनें.
10. घर में पालतू जानवर हैं तो एक बार उनकी भी जांच करवाएं. कई बार ये जानवर भी ऐसे संक्रमणों की वजह बन सकते हैं.
11. अपने नाखूनों को छोटा और साफ रखें.
12. विटामिन और मिनरल्स से भरपूर से डाइट लें.
13. डायबिटीज और मोटापे से पीड़िल लोगों में इंफेक्शन का खतरा बहुत ज्यादा होता है. ऐसे में इन लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए.