भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक,सद्गुरु जिन्हें सद्गुरु जगदीश वासुदेव के नाम से भी जाना जाता है, हमारे देश में सबसे सम्मानित लोगों में से एक हैं. वह 1982 से योग शिक्षक हैं. इसके अलावा,वह कोयंबटूर में प्रसिद्ध आध्यात्मिक एनजीओ, ईशा फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं. वह एक अच्छे स्पीकर और प्रसिद्ध लेखक भी हैं. हाल ही में उनकी ब्रेन सर्जरी हुई है.सद्गुरु जग्गी वासुदेव पिछले कुछ दिनों से बहुत अधिक सिर दर्द से पीड़ित थे. हालांकि इसके बावजूद उन्होंने अपना दैनिक कार्यक्रम जारी रखा और शिवरात्रि के मौके पर 8 मार्च 2024 को महा शिवरात्रि समारोह भी आयोजित किया. जब उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई तो 17 मार्च को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनकी ब्रेन सर्जरी की गई.
ब्रेन सर्जरी के बाद उन्होंने अपना एक वीडियो मैसेज जारी करते हुए बताया कि सर्जरी के बाद उनकी हालत अभी ठीक है.वहीं पीएम मोदी ने भी उनका हालचाल लिया और एक्स पर पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी. पीएम ने पोस्ट किया,'सद्गुरु जी से बात की और उनके अच्छे स्वास्थ्य और शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.'
कैसे पता चली दिक्कत?
शिवरात्रि समारोह के बाद भी सद्गुरु का काम ऐसे ही चलता रहा. हालांकि जब 15 मार्च को उनकी हालत ज्यादा बिगड़ी तो उन्होंने दोपहर 3:45 के आसपास दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विनीत सूरी से टेलीफोन पर बातचीत की और अपनी दिक्कत बताई. डॉ. सूरी को तुरंत सब-ड्यूरल हेमेटोमा का संदेह हुआ और उन्होंने सद्गुरु को तत्काल एमआरआई कराने की सलाह दी.एमआरआई के बाद उन्हें पता चला कि उनके मस्तिष्क में सूजन और इंटनल ब्लीडिंग हो रही थी. MRI से पता चला कि उन्हें पिछले 3-4 हफ्तों से लगातार ब्लीडिंग हो रही है और इसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई.
सद्गुरु का इलाज डॉ. विनित सूरी, डॉ. प्रणव कुमार, डॉ. सुधीर त्यागी और डॉ. एस चटर्जी सहित डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किया गया. उन्हें 17 मार्च 2024 को डॉ. विनीत सूरी की देखरेख में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था.इमरजेंसी ब्रेन सर्जरी की गई और अभी उनकी हालत में काफी सुधार है.
सब-ड्यूरल हेमेटोमा के लक्षण
आमतौर पर यह सिर पर कोई चोट लगने की वजह से ब्लड वेसल के फटने पर होता है.वक्त पर इलाज न होने पर ये जानलेवा भी साबित हो सकता है. सबड्यूरल हेमेटोमा का संदेह होने पर दो तरीके से परीक्षण किया जाता है. सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग अध्ययन मस्तिष्क और रक्त निर्माण की उपस्थिति को देखने में मदद करते हैं, जिससे एक निश्चित निदान में सहायता मिलती है.इस बीमारी में लोगों को सिरदर्द,भ्रम,व्यवहार में बदलाव,चक्कर आना,सुस्ती या अत्यधिक नींद आना,कमजोरी,उदासीनता,असामान्य पुतली का आकार,बैलेंस न बना पाना,बोलने में तकलीफ होना,शिशुओं में सिर का बढ़ना, मेमोरी लॉस,अस्पष्ट भाषण और दृष्टि में बदलाव हैं.
सबड्यूरल हीमाटोमा के प्रकार
सबड्यूरल हीमाटोमा आमतौर पर तीन प्रकार के होते हैं.
क्या है कारण
सबड्यूरल हेमेटोमा के आमतौर ये कारण होते हैं.