
हम क्या खाते-पीते हैं इसका हमारी सेहत पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. अपनी डाइट में छोटे-बड़े बदलाव करके हम कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. आपको शायद यकीन न हो लेकिन यह सच है. चीन में हुई एक स्टडी में पता चला है कि सामान्य नमक की जगह अगर कम सोडियम और ज्यादा पोटेशियम वाले नमक का विकल्प डाइट में शामिल किया जए तो स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है.
खासकर ऐसे लोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद रहेगा जिन्हें पहले एक बार स्ट्रोक आ चुका है. अगर वे रेगुलर सॉल्ट की जगह इसका सब्स्टीट्यूट खाएं तो उन्हें फिर से स्ट्रोक आने और मौत का रिस्क बहुत हद तक कम हो जाता है. यह स्टडी JAMA Cardiology में पब्लिश हो चुकी है.
ज्यादा सोडियम खाने से होता है हाइपरटेंशन
स्टडी के मुताबिक, स्ट्रोक दुनिया भर में मौत और दिव्यांगता का एक प्रमुख कारण है. और जिन लोगों को एक बार स्ट्रोक आ चुका है उन्हें दोबारा स्ट्रोक आने का चांस सालभर में 10% तो पांच साल में 15% है. चीन में यह रिस्क और ज्यादा है, एक साल में 17% और पांच सालों में 41% तक. स्ट्रोक का मुख्य कारण है हाइपरटेंशन होना और सोडियम ज्यादा खाने से हाइपरटेंशन होता है. इसलिए स्ट्रोक की रोकथाम के लिए सोडियम को कम करते हुए पोटेशियम का सेवन बढ़ाने का सुझाव दिया जाता है.
सॉल्ट सब्स्टीट्यूट और स्ट्रोक स्टडी, उत्तरी चीन के 600 गांवों में की गई, जिसमें 20,995 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. स्टडी में ऐसे लोग भी शामिल थे जिन्हें पहले स्ट्रोक हो चुका था. इनमें से कुछ लोगों को सॉल्ट सब्स्टट्यूट दिए गए तोकुछ को रेगुलर नमक. स्टडी में पता चला कि सॉल्ट सब्स्टट्यूट खाने वाले लोगों का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कम हुआ था.
WHO ने भी दी नमक के सेवन पर सलाह
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लेटेस्ट गाइडलाइंस में भी ब्लड प्रेशर और दिल की सेहत पर सामान्य नमक के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए, कम-सोडियम नमक विकल्प (लोअर सोडियम सॉल्ट सब्स्टीट्यूट) का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. WHO की साइट के मुताबिक, ग्लोबल लेवल पर, हर साल 1.9 मिलियन मौतें सोडियम का बहुत ज्यादा सेवन करने के कारण होती हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ब्लड प्रेशर और कार्डियोवस्कुलर डिजीज (CVD) के रिस्क को कम करने के लिए हर दिन 2 ग्राम से कम सोडियम लेना चाहिए.
क्या होता है लोअर सोडियम सॉल्ट सब्स्टीट्यूट (LSSS)
LSSS रेगुलर नमक के विकल्प हैं, जैसे कि उनमें रेगुलर नमक की तुलना में कम सोडियम होता है और रेगुलर नमक जैसा स्वाद पाने के लिए अक्सर पोटेशियम क्लोराइड या दूसरे एजेंट मिलाया जाता है. सोडियम क्लोराइड के कुछ हिस्से को पोटेशियम क्लोराइड से बदलने से हाइपरटेंशन और CVD बीमारियों को कम करने में मदद मिल सकती है. एलएसएसएस का इस्तेमाल बढ़ रहा है क्योंकि पब्लिक हेल्थ ऑर्गनाइजेशन इसे सोडियम कम करने की स्ट्रेटजी के तौर पर देख रहे हैं.
LSSS के फायदों के बारे में बात करें तो यह दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है. साथ ही, कम नमक वाले विकल्प खाने से बॉडी में वाटर रिटेंशन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे वजन को कंट्रोल करना आसान हो जाता है. इससे ब्लड प्रेशर और CVD परेशानियां कम होंगी. आप पोटेशियम बेस्ड सॉल्ट, हर्बल सॉल्ट और सॉल्ट फ्री सीजनिंग आदि इस्तेमाल कर सकते है.
गुरुग्राम बेस्ड न्यूट्रिशनिस्ट और सर्टिफाइड डायबिटीज एजुकेटर, डॉ. अर्चना बत्रा का कहना है कि सोडियम लेवल्स को कम करने के लिए सिर्फ नमक बदलना जरूरी नहीं है बल्कि आपको अपने पूरे खानपान पर ध्यान देना होगा. जैसे अगर आप बहुत ज्यादा पैकेज्ड या प्रोसेस्ड फूड खाते हैं तो भी आपको हाइपरटेंशन हो सकता है. क्योंकि पैकेज्ड फूड्स में प्रिजर्वेटिव के तौर पर सोडियम सॉल्ट का इस्तेमाल होता है जिससे ब्लड में इसका लेवल बढ़ता है. डॉ अर्चना ने बताया कि सोडियम लेवल्स को कम करने के लिए पोटेशियम रिच फूड लेना चाहिए. आप अपने खाने में पोटेशियम रिच फ्रूट्स शामिल कर सकते हैं. पोटेशियम रिच फूड हैं- केला, संतरा, आलू, एवैकाडो, बीन्स, पालक और अंजीर आदि.
सावधानी बरतना है जरूरी
लेकिन एलएसएसएस कितना ज्यादा सुरक्षित है यह भी चर्चा का विषय है. हर कोई यब सब्स्टीट्यूट नहीं ले सकता है. कम सोडियम और ज्यादा पोटेशियम वाला सॉल्ट खाने से ब्लड में पोटेशियम (हाइपरकेलेमिया) का लेवल बढ़ सकता है और यह हानिकारक हो सकता है. खासकर अगर आपको किडनी संबंधित परेशानी है. ऐसे में, आप एकदम से सॉल्ट सब्स्टीट्यूट नहीं ले सकते हैं. इसके लिए आपको पहले एक्सपर्ट यानी डॉक्टर या डाइटिशियन से कंसल्ट करना चाहिए.