दुनिया के हर देश ने कोविड-19 के खिलाफ अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है. लगभग हर बड़ी कंपनी ने कोविड-19 के खिलाफ बाजार में वैक्सीन उतार दी है. दो बड़े फार्मा दिग्गज सनोफी और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन पीएलसी जो कोविड -19 वैक्सीन बनाने की दौड़ में पीछे रह गए थे, ने पाया कि उनका टीका गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से बचाता है और मंजूरी के लिए नियामकों को डेटा प्रस्तुत करेगा.
एंटीबॉडी के स्तर को 18 से 30 गुना तक बढ़ाने में सक्षम
दोनों के मुताबिक परीक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि सनोफी-जीएसके वैक्सीन की दो खुराक गंभीर कोविड-19 और अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में 100% प्रभावी और किसी भी सिंप्टोमेटिक कोविड-19 रोग के खिलाफ 58% प्रभावी है. इस बीच, एक अलग अध्ययन से पता चला है कि यह उन लोगों में बूस्टर के रूप में उपयोग किए जाने पर एंटीबॉडी के स्तर को 18 से 30 गुना बढ़ा सकता है, जिन्हें पहले दूसरे तरह के शॉट मिले हैं. बुधवार को पेरिस में सनोफी के शेयरों में 1.7% की वृद्धि हुई, जबकि लंदन में जीसके के शेयरों में 1.6% की वृद्धि हुई.
रिकंबिनेंट प्रोटीन टेक्नोलॉजी पर बना है प्रोडक्ट
फिलहाल मौजूद कोविड शॉट्स पर सनोफी-ग्लैक्सो इनॉक्यूलेशन कई मामलों में भारी पड़ता है. इसे रेफ्रिजरेटर के तापमान पर रखा जा सकता है, जिससे मौजूदा एमआरएनए शॉट्स की तुलना में इसका ट्रांसपोर्टेशन और इसे स्टोर करना आसान हो जाता है. यह प्रोडक्ट रिकंबिनेंट प्रोटीन टेक्नोलॉजी पर बना है जिसका उपयोग सनोफी फ्लू के टीके बनाने के लिए करता है. यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ाने में भी मदद करता है. अब तक, हालांकि सनोफी और ग्लैक्सो के कई प्रतिद्वंदी है. उदाहरण के लिए, नोवावैक्स इंक ने भी एक रिकंबिनेंट प्रोटीन प्रोडक्ट बनाया है और इसे यूरोप और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिसंबर से मंजूरी दे दी गई है.
एमआरएनए शॉट्स के बराबर प्रभावी
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के एक विश्लेषक सैम फाजेली ने एक नोट में कहा कि जहां गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से रोकने के लिए सैनोफी-ग्लैक्सो प्रोडक्ट एमआरएनए शॉट्स के बराबर प्रतीत होता है. वहीं लक्षण वाली बीमारी के मामले में इसकी प्रभावकारिता कुछ हद तक कम हो सकती है. दुनिया में अब तक कोविड टीकों की 10 बिलियन से अधिक खुराक दी जा चुकी है, जिसका अर्थ है कि गरीब देशों और बूस्टर अभियानों के कारण वैक्सीन की मांग तेजी से बढ़ रही है.