देश में कोरोना के मामलों में बेशक कमी देखने को मिल रही हैं लेकिन स्कूलों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट्स में अभी भी लोग मास्क लगाना नहीं भूलते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं आपके बच्चों के स्कूल यूनिफॉर्म देखने में साफ-सुथरे हों, लेकिन वे पहनने के लिए सुरक्षित नहीं हैं.
पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पॉलीफ्लोरोकेलिक नामक पदार्थ (पीएफएएस) के जहरीले रसायनों के संपर्क में आने से कोविड -19 संक्रमण के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य संबंधी विकारों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. ये कैमिकल समय के साथ लोगों के जीवन का हिस्सा बन सकते हैं. इनका उपयोग अक्सर उत्पादों को पानी, दाग- और खाने को गर्म रखने के लिए किया जाता है. ये कैमिकल बच्चों के स्कूल यूनिफॉर्म में भी व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं.
क्या कहती है रिसर्च
अध्ययनकर्ताओं ने 2020 और 2021 में उत्तरी अमेरिका में ऑनलाइन खरीदे गए कपड़ों के 72 नमूनों पर रिसर्च की. जिनके लेबल ने कहा था कि उनपर पानी, दाग, हवा का असर नहीं होता है. स्कूल यूनिफॉर्म के अलावा परीक्षण किए गए उत्पादों में रेनसूट, मिट्टेंस, बिब्स, टोपी, स्वेटशर्ट, स्विमवियर समेत कई क्लोथ्स शामिल थे. जांचे गए 65% नमूनों में फ्लोरीन पाया गया. खासकर उन स्कूल यूनिफॉर्म में जिसमें विशेष रूप से 100% कॉटन का लेबल लगा हुआ था. जब इस तरह के कैमिकल की बात आती है, तो बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं. इस रिसर्च में पाया गया कि खासकर बच्चों के पहनने वाले कपड़ों में पीएफएएस का इस्तेमाल ज्यादा किया गया था.
क्या धुले हुए कपड़ों में भी मौजूद होता है कैमिकल?
इसमें चिंता की बात ये है कि पीएफए को कमजोर इम्यून सिस्टम, अस्थमा, मोटापा और मस्तिष्क के विकास सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते जोखिम से जोड़कर देखा गया है. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अध्ययनों से पता चलता है कि ये रसायन बच्चों में टीके की प्रभावशीलता को कम करते हैं. यह जानने के लिए और अधिक अध्ययन की जरूरत है कि क्या धुले हुए कपड़ों में भी ये कैमिकल बरकरार रहते हैं.