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कोरोना से जंग जीतने को लेकर एक और अच्छी खबर! शोधकर्ताओं ने बनाया वायरस का पता लगाने वाला मास्क, 10 मिनट में मोबाइल पर भेजेगा अलर्ट

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा फेस मास्क बनाया है जो हवा में मौजूद ऐसे कणों का पता लगा सकेगा जिनकी वजह से कोरोना वायरस होता है. मास्क इनका पता लगाकर यूजर को मोबाइल पर एलर्ट भेजेगा.

Mask  (Representative Image) Mask (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • अन्य रोगों पर चल रही है रिसर्च

  • प्रोटीन की करेगा पहचान

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा फेस मास्क बनाया है जोकि रेसपिरेटरी वायरस की पहचान कर सकता है. ये आमतौर पर हवा में ड्रॉपलेट्स या एरोसोल के तौर पर मौजूद होते हैं जैसे कि इन्फ्लूएंजा और COVID-19. ये स्पेसिफिक मास्क अगर हवा में मौजूद वायरस को पाता है तो ये यूजर्स को उनके मोबाइल पर 10 मिनट के अंदर एक एलर्ट भेजेगा. 

रेसपिरेटरी बैक्टीरिया जो COVID-19 और H1N1 इन्फ्लूएंजा का कारण बनते हैं, एक संक्रमित व्यक्ति के बोलने, खांसने या छींकने पर सूक्ष्म बूंदों और एरोसोल को हवा में छोड़ते हैं. ये वायरस युक्त मॉलिक्यूल वातावरण में लंबे समय तक रहते हैं और जल्दी नष्ट नहीं होते हैं. अध्ययन से संबंधित लेखक यिन फेंग कहते हैं "पिछले शोध से पता चला है कि फेस मास्क पहनने से बीमारी फैलने और जोखिम के खतरे को कम किया जा सकता है इसलिए, हम एक ऐसा मास्क बनाना चाहते थे जो हवा में वायरस की मौजूदगी का पता लगा सके और पहनने वाले को सचेत कर सके." यिन शंघाई टोंगजी विश्वविद्यालय में एक भौतिक वैज्ञानिक हैं.

अन्य रोगों पर चल रही है रिसर्च
फेंग ने कहा, "हमारा मास्क खराब वेंटिलेशन वाले स्थानों में वास्तव में अच्छी तरह से काम करेगा, जैसे कि लिफ्ट या बंद कमरे, जहां संक्रमित होने का जोखिम अधिक है." उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में कोई नया रेस्पिरेटरी संक्रमण दिखाई देता है, तो वे इसके लिए सेंसर के डिजाइन को आसानी से बदल सकते हैं. टीम का अगला लक्ष्य होगा कि वो वायरस डिटेक्शन के समय को कम करने और सेंसर की संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए पॉलिमर और ट्रांजिस्टर के डिजाइन को सुधारने पर काम करेगा. इसके अलावा कैंसर और हृदय संबंधी समस्याओं सहित बीमारियों के इलाज के लिए पहनने योग्य चिकित्सा उपकरण को बनाने पर भी काम चल रहा है.

प्रोटीन की करेगा पहचान
Aptamers,एक प्रकार का सिंथेटिक molecule है जो एंटीबॉडी जैसे रोगजनकों के विशेष प्रोटीन को पहचान सकता है. टीम ने इसका प्रयोग एक छोटा सेंसर बनाने के लिए किया. टीम ने अपने प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट डिज़ाइन में मल्टी-चैनल सेंसर को बदल दिया ताकि यह SARS-CoV-2, H5N1 और H1N1 वायरस पर सतही प्रोटीन को एक साथ पहचान सके. एक कंटेनर के भीतर वायरल सतह प्रोटीन युक्त लिक्विड और एरोसोल का मास्क पर छिड़काव किया गया और इसे कसकर बंद कर दिया गया. इसके बाद फैंग और उनके सहयोगियों ने मास्क पर परीक्षण किया. फेंग के अनुसार, खांसने या बात करने से बनने वाले तरल की मात्रा वायरल प्रोटीन ले जाने वाले 0.3 माइक्रोलीटर तरल से कहीं अधिक है, जो एक छींक की मात्रा से 70 से 560 गुना कम है. यहां तक ​​कि कम मात्रा में वायरल प्रोटीन को भी सेंसर से प्रतिक्रिया मिली.

एक बार जब aptamers हवा में लक्ष्य प्रोटीन से जुड़ जाते हैं, तो संबंधित आयन-गेटेड ट्रांजिस्टर सिग्नल को बढ़ावा देगा और पहनने वालों को उनके फोन के माध्यम से सचेत करेगा. आयन-गेटेड ट्रांजिस्टर की मदद से मास्क हवा में मौजूद छोटे से छोटे कण का भी बड़ी आसानी से पता लगा लेगा.