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Scientist ने Healthy Relationship को बताया लंबी उम्र तक जीने का रहस्य

World Economic Forum में एक अध्ययन के अनुसार पर्सनल लाइफ में खुश रहने वाले लोग लंबे समय तक लाइफ जीते हैं और वो ज्यादा सेहतमंद भी रहते हैं. खुशी पर अबतक की गई सबसे लंबी स्टडी में सामाजिक मजबूती को शारीरिक मजबूती जितना जरुरी मना गया है.पढ़िए क्या कहती है वैज्ञानिकों की ये रिसर्च ?

Research Research
हाइलाइट्स
  • वैज्ञानिकों ने निकाली खुश रहने की कुंजी

  • World Economic Forum की रिसर्च का दावा

  • हेल्थी रिलेशनशिप है लंबी उम्र का राज

हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आपसी रिश्तों में खुश रहने वाले लोग लंबी जिंदगी जीते हैं. स्टडी में सामने आया है कि आपसी रिश्तों में मजबूती होना शारीरिक मजबूती होना जितना जरूरी है. वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च को लेकर खुशी जारी की है. लेकिन वहीं वैज्ञानिकों ने सेहत, संपत्ति और खुशी के बारे में चिंता जाहिर की है.

World Economic Forum की रिपोर्ट के मुताबिक 'लॉन्गर बेटर अंडरस्टैंडिंग' और लिटरेसी लेवल पर किए गए सर्वे में पाया गाया कि लोगों के लिए जीवन में सेहतमंद रहना सबसे बड़ी चिंता है. इसके बाद पर्याप्त पैसा और जिंदगी के मजे लेना दूसरी चिंता है.

रिटायरमेंट होने के पारंपरिक तरीकों में बदलाव
अध्ययन में रिटायरमेंट की पारंपरिक धारणा को बदलने की बात कही गई है. रिटायरमेंट के बाद खाली बैठने के बजाए स्वंयसेवी के तौर पर काम करने पर जोर दिया गया है. मानव खुशी में लंबे अध्ययन के बाद ये बात सामने आई की अपने दोस्तों और परिवार के साथ अगर आपके अच्छे संबंध है तो आप एक अच्छी और खुशनुमा लाइफ लंबे समय तक जी सकते हैं.

1938 से जारी है खुश रहने पर रिसर्च 
खुशी पर किए गए अबतक सबसे लंबे अध्ययन में खुश रहने की असल वजह सामने आ गई है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक साल 1938 से खुशहाल जीवन की कुंजी तलाश कर रहे हैं. 85 सालों बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे की अच्छे संबंध ही हमें सबसे बड़ी खुशी देते हैं.

टीनएजर पर हुए अध्ययन में सामने आई बात 
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने अध्ययन की शरुआत टीनएजर से की. विश्वविद्यालय से लेकर डिग्री कॉलेज के बच्चे भी शामिल थे. प्रतिभागियों में दिवंगत राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी भी शामिल थे. पर्सनल लाइफ में खुश रहने वाले लोग न केवल खुश थे बल्कि उन्होंने एक लंबी जिंदगी जी और वो मानसिक और आर्थिक तौर पर भी अपनी लाइफ में मजबूत और खुश थे.

अच्छे संबंधों का मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर
रिसर्च साफतौर पर कहती है कि बेहतर सामाजिक जिंदगी मानसिक सेहत पर भी असर डालती है और इसका ओवरऑल सेहत पर भी असर पड़ता है. World Economic Forum में  Health And Healthcare में बतौर हेड काम करने वाले श्याम बिशन कहते हैं कि स्ट्रांग सोशल कनेक्शन एक इमोशनल सपोर्ट देते हैं, स्ट्रेस कम करते हैं, हैप्पीनेस की फिलिंग को बढ़ाते हैं.

वर्कप्लेस पर वर्क रिलेशनशिप मेंटेन करना जरूरी
वर्कप्लेस पर काम करने वाले कर्मचारी अक्सर साथी कर्मचारी के साथ हेल्थी रिलेशनशिप बिल्ड नहीं कर पाते हैं जिसकी वजह आपस में कॉम्पीटीशन होना. गुड बुक्स में बने रहने के लिए हम साथी कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार करते हैं जो कभी-कभी सेहत और करियर के लिए नुकसानदायक साबित होता है. इसलिए वर्क प्लेस पर वर्क रिलेशनशिप मेंटेन करना जरुरी है. 


सोशल फिटनेस के फायदे 

  • बेहतर मानसिक स्वास्थ्य 
  • बढ़ी हुई उत्पादकता
  • बढ़ा हुआ फोकस और एकाग्रता
  • मजबूत पारस्परिक संबंध
  • बढ़ी हुई जागरुकता 

संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत का स्थान
संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में फिनलैंड लगातार छठी बार दुनिया का सबसे खुशहाल देश का दर्जा हासिल किया है. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में 137 देशों को आय, स्वास्थ्य और जीवन के फैसले की स्वतंत्रता की भावना सहित कई मानदंडों के आधार पर रैंक किया है. 137 देशों की लिस्ट में भारत को 125 वें स्थान पर रखा गया है.

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