ठंड बढ़ने के साथ ही नींद ज्यादा आने की शिकायत हर किसी को होती है. ठंडे मौसम में गर्म-गर्म चाय, कॉफी के साथ कंबल में घुसे रहना कितना अच्छा लगता है इसमें कोई दोराय नहीं है. पर उसके साथ ही एक दिक्कत जो कई लोगों को इस मौसम में होती है वो है डिप्रेशन (Depression) की समस्या. मौसमी अवसाद जिसे सीजनल डिप्रेशन किसे कहते हैं, चिकित्सकीय रूप से सीजनल इफेक्टिव डिसॉर्डर (SAD) के रूप में जाना जाता है. यह एक तरह का अवसाद है जो सीधे मौसम में बदलाव से जुड़ा होता है, खासकर सर्दियों में।
दूसरे डिप्रेसिव डिसॉर्डर की तरह यह मूड में गिरावट, सोने में कठिनाई, निराशा की भावना और आमतौर पर लो फ़ील करने का कारण बन सकता है. यह आपकी सारी एनर्जी को खत्म कर सकता है, भूख में बदलाव का कारण बन सकता है. SAD से पीड़ित लोग अक्सर रोते हैं और निराश महसूस करते हैं.
अवसाद की तुलना में एसएडी की सबसे खास विशेषता यह है कि लक्षण शरद ऋतु और सर्दियों के महीनों के आसपास शुरू होते हैं, फिर वसंत और गर्मियों में इनमें सुधार होता है. SAD किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह उन लोगों में बहुत अधिक आम है जिनमें पहले से एंग्जाइटी या डिप्रेशन होता है. ऐसे लोगों में SAD विकसित करने की प्रवृत्ति होती है और मौसम में बदलाव के चलते वो आसानी से प्रभावित हो सकते हैं.
SAD को कैसे हराया जाए?
बेशक, SAD का सबसे आसान समाधान दिन की रोशनी में रहना या धूप में जाना होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जो हम में से कई लोग करना चाहते हैं. इसके अलावा, अपने शरीर को हिलाना, टहलना, जिम जाना, तैराकी के लिए जाना, यहां तक कि अपने लिविंग रूम में योग करना भी बहुत फायदेमंद हो सकता है. व्यायाम करने से फील-गुड हार्मोन रिलीज होते हैं जो एक नैचुरल मूड बूस्टर का काम करते हैं.
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