
कैंसर पर अब तक कई रिसर्च हो चुकी है. कैंसर के इलाज के लिए लगातार नई टेक्नोलॉजी की खोज की जा रही है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक का पता लगाया है जोकि कोलोन कैंसर की पहचान करने में मदद कर सकता है. ये टेस्ट 81% एक्यूरेसी के साथ कैंसर का पता लगाता है और 90% मामलों में स्वस्थ लोगों में गलत डायग्नोसिस को रोकता है. ये टेस्ट कोलोनोस्कोपी और स्टूल टेस्ट जैसे बहुत दिनों से चले आ रहे तरीकों से आसान और सुविधाजनक हो सकता है. रिसर्चर्स का मानना है कि ये नई टेक्नोलॉजी कोलोन कैंसर की समय से पहचान और इलाज में बहुत अहम भूमिका निभा सकती है.
क्या होता है कोलोन कैंसर?
कोलोन कैंसर बड़ी आंत के अंदर होने वाला एक प्रकार का कैंसर है. इसे कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है, क्योंकि ये कोलोन (बड़ी आंत) और रेक्टम (गुदा मार्ग) दोनों को प्रभावित कर सकता है. इसमें कोलोन के अंदर छोटे-छोटे पॉलीप्स (Polyps) बन सकते हैं, जो समय के साथ कैंसर में बदल सकते हैं. शुरुआत में ये पॉलीप्स कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन अगर इन्हें समय पर नहीं हटाया जाए, तो ये कैंसर का रूप ले सकते हैं.
कोलोनोस्कोपी से बचने का बेहतर ऑप्शन
अभी तक कोलोन कैंसर की जांच के लिए कोलोनोस्कोपी को सबसे सही तरीका माना जाता है, लेकिन ये लोगों के लिए असुविधाजनक होती है. इसमें एक लचीली ट्यूब के जरिए मलाशय और बड़ी आंत के अंदर देखा जाता है. इस ट्यूब में एक कैमरा लगा होता है, जिससे डॉक्टर को आंतों के अंदरूनी हिस्से को देखने में मदद मिलती है. इसके अलावा, स्टूल टेस्ट के जरिए मल में खून या कैंसर सेल्स की जांच की जाती है, इसे भी एक ऑप्शन के रूप में देखा जाता है, लेकिन इसके साथ सबसे बड़ी समस्या ये है की इसे हर साल दोहराना पड़ता है. रिसर्चर्स के मुताबिक ये ब्ल्ड टेस्ट कोलोनोस्कोपी और स्टूल टेस्ट जैसे बहुत दिनों से चले आ रहे तरीकों से आसान और सुविधाजनक है.
40,000 से ज्यादा लोगों पर हुआ टेस्ट
इस ब्लड टेस्ट को 45 से 85 साल की उम्र के 40,000 से ज्यादा लोगों पर आजमाया गया. सभी लोगों का पहले ब्लड टेस्ट किया गया और फिर कोलोनोस्कोपी कराई गई. दोनों के रिजल्ट की तुलना की गई, जिसमें नए ब्लड टेस्ट का रिजल्ट ज्यादा एक्यूरेट रहा.
सुरक्षित, आसान और सुविधाजनक ऑप्शन
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये ब्लड टेस्ट कोलोन कैंसर स्क्रीनिंग को बढ़ाने में मदद कर सकता है. ये एक सुरक्षित, आसान और सुविधाजनक ऑप्शन भी बन सकता है. इस ब्लड टेस्ट को कोलोन कैंसर की जांच के लिए एक नए और प्रभावी ऑप्शन के रूप में माना जा सकता है. रिसर्चर्स अब इस ब्लड टेस्ट के लॉन्ग टर्म प्रभावों का रिसर्च कर रहे हैं. अगर ये सफल साबित होता है, तो ये कोलोन कैंसर की पहचान को आसान बना सकता है और लोगों की भी जान बचा सकता है.