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Kidney Swap: अपने सगे-संबंधियों की जान बचाने के लिए 6 परिवारों ने की किडनी की अदला-बदली...12 घंटे चला ऑपरेशन

छह परिवारों ने अपने प्रियजनों को बचाने के लिए किडनी का अदान-प्रदान किया. सभी छह परिवारों के पास दानदाता तो हैं, लेकिन उन्हें अपने रिश्तेदारों के लिए उपयुक्त दानदाता नहीं मिल पा रहे थे. 

किडनी ट्रांसप्लांट किडनी ट्रांसप्लांट

जब जान बचाने की बात आती है तो परिवार वाले किसी भी हद से गुजर जाते हैं और पैसों से लेकर दौड़-भाग करने तक हर तरीके से मदद करने की कोशिश करते हैं. वैसे तो ये मामले काफी आम हैं लेकिन मेडिकल इतिहास में ये मामला थोड़ा अलग है. यहां छह परिवारों ने अपने प्रियजनों को बचाने के लिए किडनी का अदान-प्रदान किया. सभी छह परिवारों के पास दानदाता तो हैं, लेकिन उन्हें अपने रिश्तेदारों के लिए उपयुक्त दानदाता नहीं मिल पा रहे थे. 

किसने किसको दी किडनी
ऐसे में सभी परिवारों ने एक-दूसरे को किडनी देने का फैसला किया. ताकि सुटेबल डोनर को उसकी किडनी मिल सके. बहरोड़ निवासी निशांत का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है, जबकि उनकी डोनर मां ललिता देवी का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव था. वह अपने बेटे के लिए उपयुक्त डोनर नहीं थी. मैनपुरी (यूपी) की सरिता देवी ने निशांत को अपनी किडनी दी. सरिता देवी को उनके पति दिनेश यादव के लिए उपयुक्त डोनर नहीं मिला, क्योंकि दोनों का ब्लड ग्रुप मेल नहीं खा रहा था. डीडवाना की स्वरूप कंवर ने अपनी किडनी दिनेश यादव को दे दी.
कंवर के बेटे महिपाल सिंह को श्रीगंगानगर के गौरी शंकर से किडनी मिली थी.

मेडिकल हिस्ट्री में पहला ट्रांसप्लांट
कंवर के बेटे महिपाल सिंह को श्रीगंगानगर के गौरी शंकर से किडनी मिली थी. शंकर की पत्नी रजनी शर्मा को झुंझुनू की मुन्नी देवी से किडनी मिली. देवी की बेटी प्रीति सोनी को जयपुर निवासी रमेश चंद से किडनी मिली. रमेश चंद की मरीज उषा शाक्य को ललिता देवी से किडनी मिली. छह परिवारों के बीच किडनी की अदला-बदली उस निजी अस्पताल के लिए एक कठिन काम था जहां एक साथ प्रत्यारोपण किया जाता था. देश के चिकित्सा इतिहास में एक ही दिन में एक ही अस्पताल में छह स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट की बात कम ही सुनने को मिलती है.

12 घंटे चला ऑपरेशन
अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ सूरज गोदारा ने कहा,"अगर डोनर किडनी देने के लिए तैयार है और ब्लड ग्रुप मैच नहीं कर रहा है तो यह बेहद निराशाजनक स्थिति है. ऐसी स्थिति में स्वैप किडनी डोनेशन के जरिए मरीजों का इलाज किया जा रहा है. जब कई मरीज और दाताओं के होने पर स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है." अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट (निदेशक) डॉ. टीसी सदासुखी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सभी छह ट्रांसप्लांट ऑपरेशन 8 मई, 2023 को किए गए. चार सर्जनों ने 4 ऑपरेशन थिएटरों में सुबह 8 बजे ऑपरेशन शुरू किया, जो लगभग 12 घंटे तक चला और रात 8 बजे तक पूरा हो सका. उन्हें संक्रमण मुक्त वातावरण में गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया और ठीक होने के 10 दिन बाद छुट्टी दे दी गई.फॉलो-अप में पता चला है कि सभी प्राप्तकर्ता और सभी दाता की सेहत अब ठीक है.