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Chandigarh PGI: चंडीगढ़ पीजीआई में खुला उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक, अंगदान की तरह कर सकते हैं स्किन डोनेट

चंडीगढ़ पीजीआई में स्किन बैंक की शुरुआत हो गई है. अब इस अस्पताल में अंग के साथ-साथ स्किन भी दान किया जा सकता है. पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई है.इस बैंक में देहदान करने वाले और ब्रेन डेड मरीज के परिजनों की सहमति से उनकी स्किन भी संरक्षित की जाएगी.

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उत्तर भारत के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई में उत्तर भारत का पहला स्किन बैंक खोला गया है. यह Skin Bank कई मायनों में अहम और महत्वपूर्ण है, क्योंकि किसी भी मरीज की अगर 40 फीसदी के आसपास स्किन जल जाती है, तो उसको ठीक करने में यह मददगार साबित होगा. जिससे मरीज के बचने की संभावना 30 फीसदी अधिक बढ़ जाएगी. ये स्किन बैंक कैसे काम करेगा? कितने समय तक स्किन प्रिजर्व किया जा सकता है? पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अतुल पाराशर ने इन तमाम सवालों के जवाब दिए.

स्किन बैंक की शुरुआत-
क्या आपको मालूम है कि मरने के बाद आप अपनी चमड़ी यानी स्किन भी दान दे सकते हैं? जी हां, उत्तर भारत के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई में स्किन बैंक की शुरुआत की गई है. पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अतुल पाराशर ने बताया कि ये अपने आप में बहुत अलग विभाग है, जो पीजीआई में खोला गया है. जिससे आने वाले समय में कई जरूरतमंद लोगों को काफी फायदा होने वाला है.

कैसे होगा मरीजों का इलाज-
डॉ अतुल पाराशर ने बताया कि स्किन बैंक मृत व्यक्तियों से दान की गई त्वचा का उपयोग करके त्वचा ग्राफ्टिंग प्रदान करके जले हुए रोगियों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके साथ में यह भी सुनिश्चित करता है कि मरीजों को जरूरी इलाज मिले, दर्द कम हो और अंतर्निहित ऊतकों के इलाज को बढ़ावा मिले. उन्होंने बताया कि एलोग्राफ्ट स्किन जिन लोगों से ली जाती है, उनकी पूरी तरह से जांच की जाती है, ताकि स्किन लेने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

पीजीआई में मरीजों की देखभाल-
पीजीआई चंडीगढ़ में हर साल करीब 500 जलने वाले केस आते हैं. जिनकी पूरी तरह से अस्पताल में देखभाल की जाती है. जलने से मरीजों और उनके परिवारों पर अत्यधिक शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और वित्तीय तनाव होता है. डॉ. पाराशर ने बताया कि इनमें से अधिकांश मरीजों का शरीर 40 फीसदी से अधिक जला रहता है. जिनकी सर्जरी की जरूरत होती है. लेकिन स्किन दान देने वालों की कमी के चलते उनको छोड़ दिया जाता है. जिसकी वजह से मरीजों को ज्यादा समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है. अब स्किन बैंक खुलने से मरीजों को फायदा होगा और जरूरी इलाज मिल पाएगा.

साल 2016 में शुरू की गई थी प्रक्रिया-
डॉ पाराशर ने बताया कि स्किन बैंक बनाने की प्रक्रिया पीजीआई में 2016 में शुरू हुई थी, लेकिन कोविड की वजह से यह प्रोसेस रूक गया था. स्किन बैंक खोलने के लिए कई नियम-कानून हैं और कोरोना के चलते इसमें काफी दिक्कत आई थी.जिसके चलते अब तक ये मामला लटका हुआ था. लेकिन अब स्किन बैंक की शुरुआत हो गई है. डॉक्टर ने बताया कि आने वाले समय में इस स्किन बैंक में काफी स्किन डोनेशन भी होनी शुरू हो जाएगी.

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