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Sleep and Mental Health: रात 1 बजे के बाद सोने वाले सावधान! अपने मानसिक स्वास्थ्य को पहुंचा रहे हैं नुकसान 

इसे लेकर 73,888 व्यक्तियों के डेटा का विश्लेषण किया गया. ये सभी वो लोग थे जिनमें से सभी हर दिन औसतन सात घंटे की नींद लेते थे. स्टडी में सामने आया कि नींद के समय के आधार पर मेंटल हेल्थ प्रोफाइल में एक बड़ा अंतर सामने आया है.

Lack of sleep (Representional Photo/Getty Images) Lack of sleep (Representional Photo/Getty Images)
हाइलाइट्स
  • नींद और मेंटल हेल्थ का है लिंक 

  • देर से सोने का पड़ता है प्रभाव

आज की तेज-तर्रार दुनिया में, जहां कई जिम्मेदारियां निभाने में अक्सर देर रात तक का समय लग जाता है, हम अपनी नींद से अक्सर समझौता कर लेते हैं. हालांकि, इंपीरियल कॉलेज, लंदन की एक नई स्टडी में देर रात सोने से जुड़े जोखिमों के बारे में बताया गया है. शोध से पता चलता है कि देर रात सोने का प्रभाव सीधा आपकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है. 

नींद और मेंटल हेल्थ का है लिंक 

इंपीरियल कॉलेज की इस रिसर्च में यूके बायोबैंक में नामांकित 73,888 व्यक्तियों के डेटा का विश्लेषण किया गया. ये सभी वो लोग थे जिनमें से सभी हर दिन औसतन सात घंटे की नींद लेते थे. स्टडी में सामने आया कि नींद के समय के आधार पर मेंटल हेल्थ प्रोफाइल में एक बड़ा अंतर सामने आया है. जो व्यक्ति लगातार 1 बजे से पहले बिस्तर पर जाते थे, उनकी मानसिक स्थिति स्वस्थ दिखाई दी. इसके विपरीत, जो लोग देर रात तक जागते हैं, भले ही उन्हें लगता हो कि वे स्वाभाविक रूप से ऐसा करने के लिए इच्छुक हैं, लेकिन उनकी सबसे खराब मेंटल हेल्थ थी. 

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देर से सोने का प्रभाव

देर रात तक सोने वालों को अक्सर सुबह की जिम्मेदारियों की वजह से नींद कम आती है. इससे उनका मेलाटोनिन कम बनने लगता है.  मेलाटोनिन हार्मोन नींद के और उठने की साइकिल को रेगुलेट करता है. इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है. जिसकी वजह से हमारी मेंटल हेल्थ पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल के कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट डॉ. शौनक अजिंक्य ने इस पर बात की. डॉ. शौनक ने रिपोर्ट में कहा, "मेरे ज्यादातर मरीज छह घंटे से ज्यादा सोने के लिए संघर्ष करते हैं, जो उनके मेंटल हेल्थ से जुड़े मुद्दों को और बढ़ा देता है."

सर्कैडियन रिदम क्या हैं?

हमारा शरीर 24 घंटे की नेचुरल साइकिल पर काम करता है, जिसे सर्कैडियन रिदम के रूप में जाना जाता है. ये हमारी मेंटल हेल्थ को भी मैनेज करने में मदद करता है. ये नेचुरल साइकिल हमारी नींद और जागने के चक्र, हार्मोन रिलीज और शरीर के तापमान को रेगुलेट करने में मदद करती है. 

अनियमित नींद के पैटर्न के प्रभाव

जब व्यक्ति लगातार आधी रात के बाद बिस्तर पर जाते हैं, तो यह उनकी आंतरिक सर्कैडियन रिदम और बाहरी दुनिया के बीच एक बेमेल पैदा करता है. इसकी वजह से न केवल गिरने और सोते रहने की क्षमता बाधित होती है बल्कि नींद की गुणवत्ता भी कम हो जाती है. नींद की कमी से मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है. 

मेलाटोनिन पर कैसे प्रभाव पड़ता है? 

दरअसल, आधी रात के बाद जागने से शरीर की मेलाटोनिन बनाने की की क्षमता पर काफी असर पड़ता है. मेलाटोनिन नींद शुरू करने और नींद-जागने वाली साइकिल को रेगुलेट करने के लिए जरूरी होता है. देर रात तक जागने की वजह से मेलाटोनिन प्रोडक्शन बाधित हो जाता है.