अल्जाइमर के बारे में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो हम नहीं जानते हैं. लेकिन खराब नींद और इस बीमारी में बिगड़ती हालत के बीच के लिंक पर शोधकर्ता लगातार स्टडी कर रहे हैं. अब, एक नई स्टडी में में पाया गया है कि नींद की गोलियां का उपयोग करके अल्जाइमर को रोका या खत्म किया जा सकता है. नींद में कमी आना या सोने में परेशानी होना अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. अब सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ये स्टडी की है जिसमें स्लीपिंग पिल्स यानी नींद की गोलियों को फायदेमंद बताया गया है.
इसको लेकर की गई स्टडी
इस स्टडी के लिए कुछ लोगों को दो रातों तक अनिद्रा के लिए एक नॉर्मल ट्रीटमेंट, सुवोरेक्सेंट दिया गया. जिसके बाद उन लोगों में दो प्रोटीन, एमाइलॉयड-बीटा और ताऊ में मामूली गिरावट देखी गई. ये वो प्रोटीन हैं जो अल्जाइमर बीमारी के दौरान बढ़ जाते हैं. हालांकि इसमें कम और स्वस्थ वयस्कों को ही शामिल किया गया था.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्लीप मेडिसिन सेंटर के न्यूरोलॉजिस्ट ब्रेंडन लुसी कहते हैं, "नींद की गोलियां इसमें मदद कर सकती हैं. हालांकि, यह उन लोगों के लिए समय से पहले होगा जो अल्जाइमर के विकास के बारे में चिंतित रहते हैं. ये स्टडी सिर्फ दो रातों तक चली और इसमें 38 उम्र के लोगों को शामिल किया गया.
नींद में दिक्कत आना है अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण
नींद में दिक्कत आना अल्जाइमर रोग की एक शुरुआती चेतावनी हो शुरू होते हैं, तब तक अमाइलॉइड-बीटा (Amyloid-Beta) का लेवल लगभग चरम पर होता है. इनसे हमारे ब्रेन सेल को बंद करने वाले प्लाक नाम के गुच्छे बन जाते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि नींद को बढ़ावा देना अल्जाइमर रोग को दूर करने का एक तरीका हो सकता है. इससे सोते हुए दिमाग को बचे हुए प्रोटीन और दिन के वेस्ट प्रोडक्ट्स को फ्लश करने की अनुमति मिलती है.
पूरी तरह निर्भर होना भी है गलत
स्टडी में ये भी कहा गया कि लंबे समय तक नींद की गोलियों का उपयोग करना उन लोगों के लिए भी एक आदर्श समाधान नहीं है, जिन्हें नींद कम आती है. क्योंकि वे इसपर निर्भर हो सकते हैं. हालांकि, नींद की गोलियां भी गहरी नींद को उथल-पुथल कर सकती है. नींद की गोलियां कुछ लोगों की नींद में तो बंद कर सकती है लेकिन अल्जाइमर रोग को पूरी तरह खत्म करने या उसके उपचार के रूप में इसे नहीं देखना चाहिए.