दुनिया भर में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच इस दुर्लभ वायरस को लेकर लोगों में चिंता बढ़ती जा रही है. 75 देशों में 16,000 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए हैं. भारत में भी मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आ चुके हैं. WHO ने इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी की श्रेणी में रखा है. ये वायरस का संक्रमण इतना क्यों फैल रहा है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक 22 जुलाई, 2022 तक मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा केस स्पेन में हैं.
मंकीपॉक्स में भी असरदार है चेचक का टीका
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक चेचक का टीका मंकीपॉक्स को रोकने में कम से कम 85% प्रभावी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन वयस्कों को चेचक का टीका लगाया गया है, वे मंकीपॉक्स के संक्रमण से काफी हद तक बच सकते हैं. अगर इन लोगों को मंकीपॉक्स का संक्रमण होता भी है तो केवल हल्क लक्षण ही देखने को मिलेंगे. आंकड़े बताते हैं कि इससे संक्रमित होने वाले अधिकांश वयस्क जिन्हें चेचक का टीका लगा है वे गंभीर रूप से बीमार नहीं होते हैं. उन लोगों को मंकीपॉक्स से अधिक सावधान रहने की जरूरत है जिन्हें चेचक का टीका नहीं लगा है.
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स, एक वायरस के कारण होता है, जो स्मॉलपॉक्स की फैमिली का ही एक वायरस है. ये मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों के लोगों में ज़्यादा देखने को मिला है. इस वायरस से संक्रमित होने वाले अधिकांश लोगों के लिए, लक्षण फ्लू के समान होते हैं. इसमें बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स और थकान शामिल हैं. अधिक गंभीर मामलों में रोगियों के हाथों, चेहरे और पैरों के तलवों में छोटे-छोटे दानेविकसित हो जाते हैं.
ऐसे फैलता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स वायरस हवा से नहीं फैलता है. यह रोग अक्सर संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे शारीरिक संपर्क में आने के माध्यम से फैलता है. यह वायरस हमारी त्वचा पर किसी कट से या आंख, नाक या मुंह के रास्ते शरीर में जा सकता है. यह वायरस उन वस्तुओं के संपर्क में आने से भी फैल सकता है जो या तो संक्रमित व्यक्तियों के शरीर पर पड़े चकतों को छूते हैं. मंकीपॉक्स 21 दिन के आइसोलेशन के बाद ठीक हो जाती है और संक्रमित होने के 3 दिन बाद इसके लक्षण दिखाई दो सकते हैं.