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Speech Fasting Trend: पूरे दिन शांत रहने से मेंटल के साथ फिजिकल हेल्थ भी होगी ठीक, जानें कैसे होती है स्पीच फास्टिंग

स्पीच फास्टिंग से शांति मिलती है और हमारी कम्युनिकेशन स्किल को भी आराम मिलता है. साथ ही व्यक्ति इससे आत्म-जागरूक भी होता है और उसे आत्मनिरीक्षण का समय भी मिलता है. 

Speech Fasting (Photo: Unsplash) Speech Fasting (Photo: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • आत्मजागरूकता मिलती है 

  • स्ट्रेस भी होता है इससे कम 

शोर और बकबक से भरी दुनिया में, मौन रहने का विचार अजीब लग सकता है. हालांकि, रोजमर्रा की जिंदगी में शोर से राहत चाहने वालों के लिए स्पीच फास्टिंग एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है. आप पूरे दिन शांत रहकर या बोलने से परहेज करके अपनी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को ठीक कर सकते हैं. या उसे मजबूत बना सकते हैं. दुनियाभर में इसीलिए स्पीच फास्टिंग का ट्रेंड चल रहा है. इसमें व्यक्ति पूरा दिन चुप रहता है और किसी से बात नहीं करता.  

स्ट्रेस भी होता है इससे कम 

मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में सलाहकार साइकेट्रिस्ट डॉ. शौनक अजिंक्य ने इंडियन एक्सप्रेस को स्पीच फास्टिंग के फायदों के बारे में बताया. स्पीच फास्टिंग से स्ट्रेस भी कम होता है. साथ ही स्पीच फास्टिंग से व्यक्ति को कम थकान होती है. खासकर उन लोगों के लिए स्पीच फास्टिंग काफी अच्छी है जिनका काम ही बोलने का है. इसके अलावा, इस स्पीच फास्टिंग से कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन में कमी हो सकती है, जिससे आराम और बेहतर नींद को बढ़ावा मिलता है.

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आत्मजागरूकता मिलती है 

भौतिक दायरे से परे, स्पीच फास्टिंग से शांति मिलती है और हमारी कम्युनिकेशन स्किल को भी आराम मिलता है. साथ ही व्यक्ति इससे आत्म-जागरूक भी होता है और उसे आत्मनिरीक्षण का समय भी मिलता है. 

स्पीच फास्टिंग अलग-अलग धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में काफी महत्व रखती है. बौद्ध धर्म जैसी प्रथाएं आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए मौन रहने की सलाह देती हैं. 

मौन में एक दिन क्या करें?

स्पीच फास्टिंग का पूरा दिन शुरू करने से शरीर और दिमाग दोनों में काफी बदलाव आ सकता है. इससे वोकल कोर्ड्स, गले की मांसपेशियां और चेहरे की मांसपेशियों को आराम मिलता है. इसके अलावा, व्यक्ति गहरी सांस लेने के पैटर्न को महसूस कर सकता है. इससे हमारा बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन भी नॉर्मल हो जाती हैं. 

किसे नहीं करनी चाहिए स्पीच फास्टिंग 

हालांकि, स्पीच फास्टिंग के कई फायदे हैं, लेकिन यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है. जिन व्यक्तियों को पहले से ही आवाज या सांस से जुड़ी कोई बीमारी है उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि स्पीच फास्टिंग से इसके लक्षण बढ़ सकते हैं. इसके अलावा, एंग्जायटी या डिप्रेशन जैसी मेंटल हेल्थ समस्याओं से गुजर रहे लोगों को चुनौतीपूर्ण लग सकता है. स्पीच फास्टिंग की एक सबसे बड़ी चुनौती ये भी है कि रिलेशन में इससे गलतफहमियां बढ़ सकती हैं.