कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर पिछले एक महीने से दुनिया भर में दहशत मची है. इसके केस तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स यही बता रहे हैं कि यह अब तक का सबसे खतरनाक वेरिएंट है. सबसे ज्यादा तेजी से फैल रहा है और हेल्थ सिस्टम को तबाह कर सकता है.
पुराने वेरिएंट की तुलना में कम बीमार कर रहा ओमिक्रॉन
एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन अब तक मिले वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक नहीं है. चूहों और हमस्टर पर हुए अध्ययन में यह पता चला है कि ओमिक्रॉन ने कम हानिकारक संक्रमण पैदा किया है. संक्रमण की वजह से नाक, गला और सांस की नली तक ही नुकसान होता है जबकि पुराने वेरिएंट की वजह से फेफड़े को काफी नुकसान होता है. पुराने वेरिएंट की चपेट में आने की वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. कोरोना संक्रमण को लेकर अध्ययन करने वाले बर्लिन इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के कंप्यूटेशनल बायोलॉजिस्ट रोनाल्ड्स इल्स ओमिक्रॉन ऊपरी श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है.
सिर्फ म्यूटेशन से नहीं पता चलता वायरस का बर्ताव
नवंबर में जब दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पहला केस सामने आया तब वैज्ञानिकों ने सिर्फ ये देखा कि अब तक मिले कोरोना के सभी वेरिएंट में ओमिक्रॉन किस तरह से बिहेव कर रहा है. तब यह जानकारी सामने आई थी कि वायरस का नया वेरिएंट 50 से अधिक बार अपने रूप बदल रहा है. वायरस शरीर के अंदर जाने के बाद कैसी स्थिति पैदा करेगा यह अब तक मिस्ट्री थी. यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के वायरस एक्सपर्ट रविंद्र गुप्ता का कहना है कि सिर्फ म्यूटेशन से वायरस के बर्ताव को नहीं पकड़ा जा सकता है.
वैक्सीनेटेड लोगों पर असर कम
ओमिक्रॉन को लेकर पिछले एक महीने से लगातार रिसर्च चल रही है. इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने वैक्सीन ले ली है. यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि वैक्सीन ले चुके लोगों पर और वैक्सीन नहीं लिए लोगों पर वायरस किस तरह से असर करता है. अब तक के रिसर्च में यह सामने आया है कि ओमिक्रॉन गंभीर रूप से लोगों को बीमार नहीं कर रहा है, खासकर वैसे लोग जिन्होंने वैक्सीन ले ली है.