कोरोनावायरस के अल्फा संस्करण के मामलों के सामने आने के बाद अब पालतू जानवरों में भी इस वायरस को पाया गया है. दरअसल एक अध्ययन के दौरान दो बिल्लियाँ और एक कुत्ता को अल्फा संस्करण से पॉजीटिव पाया गया है. अध्ययन करने वाली टीम ने यह भी स्पष्ट किया कि पालतू जानवरों में कोरोनावायरस का पाया जाना एक समस्या है. दरअसल मनुष्यों के मुकाबले पालतू जानवरों में संक्रमण फैलने के दूसरे तरीके होते हैं.
पालतू जानवरों में खतरनाक है वायरस
पालतू जानवरों में अल्फा संस्करण का पाया जाना काफी खतरनाक है. जाहिर सी बात है कि मनुष्यों में किसी भी बीमारी का पता आसानी से चल जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मनुष्यों में बीमारी के लक्ष्ण काफी आसानी से देखे और समझे जा सकते हैं. इस शोध के बारे में बताते हुए यूके स्थित राल्फ वेटरनरी रेफरल सेंटर के प्रमुख लेखक डॉ लुका फेरासिन ने कहा अध्ययन के कारण पालतू जानवरों में अंदर कोरोनावायरस के अल्फा संस्करण के होने का पता चला है. इस अध्ययन से हमने पाया कि इससे संक्रमित जानवरों में गंभीर हृदय की असामान्यताएं दिख रही थी, जो कि संक्रमित मनुष्यों में अक्सर पाई जाती है, मगर जानवरों में इसका मिलना असामान्य है.
जानवरों से मनुष्य भी फैल सकता है कोरोना
हृदय रोग के लक्षण विकसित होने के दो से छह सप्ताह बाद दो अन्य बिल्लियों और एक कुत्ते में कोरोना कि एंटीबॉडी पाई गई. शोध में पाया गया कि पालतू जानवरों में हृदय रोग की शुरुआत तेजी से हो रही थी. जिस कारण उनकी हृदय की मांसपेशियों में सूजन आ रही थी. हृदय की मांसपेशियों में सूजन आने की बीमारी को मायोकार्डिटिस कहते हैं. इसके अलावा इन पालतू जानवरों के मालिकों ने जानवरों के बीमार पड़ने से कई सप्ताह पहले सांस संबंधी लक्ष्ण विकसित किए थे, जिसके बाद वो कोविड-पॉजिटिव हो गए थे.
क्या है अल्फा वैरियंट?
कोरोनावायरस का अल्फा संस्करण B.1.1.7 वंश का है. कोरोना का ये संस्करण भी इसके अन्य संस्करणों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस साल 31 मई को इसे 'अल्फा' नाम दिया था. वैरिएंट पहली बार पिछले साल नवंबर में दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में पाया गया था. इस संस्करण में संक्रामकता ज्यादा है.