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Covid-19 Study: मरीजों के खून से लगाया जा सकता है कोविड-19 की गंभीरता का पता, प्लाज्मा चेक करके हो सकता है बेहतर ट्रीटमेंट

Corona Virus: मरीजों के खून से कोविड-19 की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है. प्लाज्मा को चेक करके बेहतर ट्रीटमेंट हो सकता है. कोरोना वायरस लेकर एक स्टडी हुई है जिसमें ये सामने आया है.

Covid -19 Covid -19
हाइलाइट्स
  • बेहतर टीटमेंट में मिलेगी मदद 

  • प्रोटीन से पता लगाया जा सकता है बीमारी की गंभीरता का पता

कोविड-19 से किसे सबसे ज्यादा खतरा है इसको लेकर कई स्टडी हो चुकी हैं. अब एक नई स्टडी में सामने आया है कि मरीज के खून से बताया जा सकता है कि आगे चलकर वह गंभीर रूप से बीमार हो सकता है या नहीं. या इसकी कितनी संभावना है. इसके लिए शोधकर्ताओं ने COVID-19 से संक्रमित लोगों के खून को टेस्ट किया है. खून के प्लाज्मा में एक अलग तरह के प्रोटीन की पहचान की गई है, जिससे यह अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है कि रोगी को आगे चलकर कितनी समस्या हो सकती है. 

प्रोटीन से पता लगाया जा सकता है बीमारी की गंभीरता का पता

स्टडी में सामने आया है कि खून में इस प्रोटीन से पता लगाया जा सकता है कि किन रोगियों को सांस लेने के लिए वेंटिलेटर पर रखने की आवश्यकता हो सकती है और किसके वायरस से मरने की सबसे ज्यादा संभावना है. अमेरिका में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 332 कोविड-19 रोगियों के ब्लड प्लाज्मा के सैंपल्स का अध्ययन किया. इस स्टडी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर कार्लोस क्रुचागा (Carlos Cruchaga) कहते हैं,  "इस हानिकारक प्रोटीन की पहचान करना मददगार हो सकता है. क्योंकि इससे हम न केवल उस वायरस के वेरिएंट का सामना कर सकेंगे बल्कि भविष्य में आने वाले नए वायरस से भी लड़ सकेंगे”

बेहतर टीटमेंट में मिलेगी मदद 

क्रुचागा आगे कहते हैं, "हम कोविड से इन्फेक्टेड एक व्यक्ति के खून से प्लाज्मा की जांच कर सकते हैं. उसमें प्रोटीन के लेवल की जांच की जा सकती है. साथ ही हम इसके गंभीर परिणामों के लिए भी तैयार हो सकते हैं. अगर इतनी जानकारी हमें हो जाए तो हम आसानी से के बेहतर ट्रीटमेंट उस रोगी को दे सकते हैं. 

टीम ने अमेरिका के सेंट लुइस में बार्न्स-यहूदी अस्पताल में भर्ती COVID-19 रोगियों के प्लाज्मा सैंपल का अध्ययन किया. उन्होंने इन सैंपल्स की तुलना उन 150 लोगों के प्लाज्मा सैंपल से की जो SARS-CoV-2 से संक्रमित नहीं थे. क्योंकि ये सैंपल तब मिले थे जब रोगियों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा था.

किस टेक्नोलॉजी का हुआ इस्तेमाल?

जर्नल आईसाइंस में प्रकाशित इस अध्ययन में प्रोटीन के ओवरएक्प्रेशन और अंडरएक्प्रेशन की पहचान करने के लिए हाई-थ्रूपुट प्रोटिओमिक्स नामक एक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. इसे डिसरेग्यूलेशन के रूप में भी जाना जाता है. वैज्ञानिकों ने यह पता लगाने के लिए अलग से टेस्टिंग की कि कौन से प्रोटीन वास्तव में गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं. 

हालांकि स्टडी में बड़ी संख्या में ऐसे प्रोटीनों की पहचान की गई जो रोगियों में मिले. जिसके  बाद यह निर्धारित किया गया कि इन 32 प्रोटीनों के होने मरीज की स्थिति कोविड संक्रमण के दौरान ज्यादा खराब हो जाती है. इसके बाद अन्य पांच प्रोटीनों की पहचान की गई, जो रोगी के लिए मृत्यु की संभावना का संकेत देते हैं.