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सिर्फ एक रात का जागना आपके दिमाग को बना सकता है कई साल 'बूढ़ा', नींद पर किए गए रिसर्च में हुआ खुलासा

शोधकर्ताओं ने पाया है कि सिर्फ एक रात की खराब नींद किसी व्यक्ति के दिमाग को सालों पुराना दिखा सकती है. हाल ही में जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित शोध में सुझाव दिया गया है कि जिन प्रतिभागियों को नींद की कमी थी, उनके दिमाग की उम्र में 1-2 साल की वृद्धि देखी गई. अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि ये बदलाव रिकवरी स्लीप के साथ रिवर्सिबल थे.

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हाइलाइट्स
  • बूढ़ा हो सकता है आपका दिमाग

  • हर रात लें प्रॉपर नींद

सिर्फ एक दिन की खराब नींद आपके दिमाग को दो साल बूढ़ा बना सकती है. हाल ही में हुए एक शोध में इसका खुलासा हुआ है. जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में हाल ही में प्रकाशित शोध में सुझाव दिया गया है कि नींद की कमी आपके दिमाग की संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव का कारण बन सकती है. 

कैसे किया गया अध्ययन

19 से 39 वर्ष की आयु वर्ग के बीच के कुल 134 लोगों (42 महिलाएं और 92 पुरुषों) पर स्टडी की गई. इन लोगों में 8 घंटे की अच्छी नींद लेने वाले और नींद की कमी या स्लीप डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों को शामिल किया गया. सभी को सोने के एक एक समान वक्त दिया गया. वैज्ञानिकों ने हर रात प्रत्येक प्रतिभागी के दिमाग का आकलन किया और 3,000 से ज्यादा लोगों के डेटा पर मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके प्रतिभागियों के दिमाग की एज निर्धारित की. 

नहीं सोने से बूढ़ा होता है दिमाग

जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित शोध में सुझाव दिया गया है कि जिन प्रतिभागियों को नींद की कमी थी, उनके दिमाग की उम्र में 1-2 साल की वृद्धि देखी गई. अध्ययन में कहा गया है कि ये बदलाव रिकवरी स्लीप के साथ रिवर्सिबल थे. रिसर्च के परिणाम इस बात का इशारा करते हैं कि बिना नींद की एक रात किसी व्यक्ति को कैसे प्रभावित कर सकती है. हालांकि इस शोध में स्लीप डिसऑर्डर के दीर्घकालिक प्रभावों पर बात नहीं की गई है.

कई बीमारियों की आशंका

जितना एक व्यक्ति के लिए खाना-पीना जरूरी है उतना ही सोना भी जरूरी है. अगर आप पूरी नींद नहीं लेंगे, तो आप अल्ज़ाइमर जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि जरूरत से कम नींद लेने से मानव शरीर में अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क संबंधी अन्य विकार पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है. एक हेल्दी व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे सोने की सलाह दी जाती है. जो लोग गहरी नींद नहीं लेते उनमें चिंता और तनाव का स्तर 30 फीसदी बढ़ जाता है.