
टीबी (Tuberculosis) को एक ऐसी बीमारी के रूप में देखा जाता है जिसका इलाज मुश्किल होता है. ग्लोबल गाइडलाइन के मुताबिक इसका ट्रीटमेंट करीब 6 महीने तक चलता है. लेकिन अब इस ट्रीटमेंट के टाइम को 6 से हटाकर 4 महीने करने पर बात की हो रही है. हाल ही में हुई एक रिसर्च में इस 4 महीने वाले ट्रीटमेंट को पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावकारी माना गया है. इसीलिए अब टीबी से जुड़ी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की ग्लोबल गाइडलाइन में बदलाव करने पर बात हो रही है.
6 से 4 महीने करने पर हो रही है बात
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च में पाया गया है कि टीबी में चल रहे दवाओं वाले ट्रीटमेंट की अवधि को छह से चार महीने तक कम किया जा सकता है. ऐसा करने से दुनियाभर के मेडिकल सिस्टम पर बोझ कम हो जाएगा. बता दें, अभी टीबी का मेडिसन वाला ट्रीटमेंट 6 महीने तक चलता है.
एक से दो हजार रुपये तक की हो सकती है बचत
प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, प्रोफेसर डायना गिब ने बताया कि ट्रीटमेंट के समय को कम करें पर दवाइयों पर होने वाले खर्चे में बचत होगी. उन्होंने कहा, "टीबी से पीड़ित लगभग एक चौथाई बच्चे बीमारी के कारण मर जाते हैं. इसमें से 90 फीसदी ऐसे होते हैं जिनका इलाज समय से शुरू नहीं हो पाता है. वहीं जो बच्चे नॉन-सीवियर यानि जिनमें ये बीमारी ज्यादा गंभीर नहीं होती है उनके ऊपर औसतन 17 डॉलर यानि 1 हजार रुपये तक की बचत हो सकती है. इन पैसों का उपयोग स्क्रीनिंग कवरेज को बेहतर बनाने और टीबी वाले बच्चों को खोजने के लिए किया जा सकता है."
एक हजार बच्चों को किया गया रिसर्च में शामिल
इस रिसर्च में 1,204 बच्चों को शामिल किया गया था. जिसमें 2 महीने से लेकर 16 साल तक के बच्चों को शामिल किया गया था. ये सब वो बच्चे थे जिन्हें नॉन-सीवियर टीबी था. इन सभी दो ग्रुप में बांटा गया, जिसमें से बच्चों को 6 महीने और 4 महीने वाले ट्रीटमेंट में बांटा गया. इसमें पाया गया कि दोनों ही केस में बच्चे स्वस्थ थे. 4 महीने के ट्रीटमेंट वाले बच्चे भी 6 महीने वालों की तरह ही ठीक हो गए थे.
जाम्बियन ट्रायल साईट की लीड इन्वेस्टिगेटर डॉ चिशाला चबाला ने कहा, "बच्चों को अक्सर माइल्ड बीमारी ही होती है. अगर उनका समय पर उपचार किया जाता है, तो वे कम समय में ही ठीक हो सकते हैं, इसके लिए 6 महीने का इलाज जरूरी नहीं है.”