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अमेरिका में हुई स्टडी का दावा, कई घंटों तक एक जगह बैठे रहने वालों को हैं डिप्रेशन का ज्यादा खतरा

पिछले कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य के इर्द-गिर्द चर्चा बढ़ी है. लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूकता आई है. अलग-अलग संस्थानों और शोधकर्ताओं द्वारा मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विषयों पर रिसर्च की जा रही है. हाल ही में अमेरिका में भी इससे संबंधित एक रिसर्च सामने आई है. जिसमें कहा जा रहा है कि अगर आप लम्बे समय तक बैठे रहते हैं और काम करते रहते हैं तो आपको डिप्रेशन होने का ज्यादा खतरा है.

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हाइलाइट्स
  • एक जगह पर घंटों तक बैठे रहना नहीं है सही

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई रिसर्च

पिछले कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य के इर्द-गिर्द चर्चा बढ़ी है. लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूकता आई है. अलग-अलग संस्थानों और शोधकर्ताओं द्वारा मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विषयों पर रिसर्च की जा रही है. 

हाल ही में अमेरिका में भी इससे संबंधित एक रिसर्च सामने आई है. जिसमें कहा जा रहा है कि अगर आप लम्बे समय तक बैठे रहते हैं और काम करते रहते हैं तो आपको डिप्रेशन होने का ज्यादा खतरा है. दरअसल साल 2020 में आई कोरोना महामारी के कारण पूरे विश्व में लोगों के काम करने का तरीका बदला है. 

‘वर्क फ्रॉम होम’ आज की सच्चाई है. और इसके कारण लोगों का बाहर निकलना, चलना, लोगों से मिलना काफी कम हो गया है. घर में रहने के कारण और लगातार काम करने की वजह से बहुत से कामकाजी लोगों का समय लैपटॉप या डेस्कटॉप के सामने जाता है. जो सही नहीं है. 

एक जगह पर घंटों तक बैठे रहना नहीं है सही: 

हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि अप्रैल और जून 2020 के बीच बैठ हुए बहुत अधिक समय बिताने वाले लोगों में डिप्रेशन से पीड़ित होने का खतरा बहुत ज्यादा है. विस्तार से किए गए विश्लेषण से लोगों को उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. 

यह रिसर्च 'फ्रंटियर्स इन साइकियाट्री' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है. आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में काइन्सियोलॉजी के सहायक प्रोफेसर और इस रिसर्च के प्रमुख लेखक जैकब मेयर ने कहना है कि लंबे समय तक बैठे रहना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है. यह एक डरपोक व्यवहार है. यह कुछ ऐसा है जिसे हम हर समय बिना सोचे-समझे करते हैं. 

इस अध्ययन में मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में शारीरिक गतिविधियों और गतिहीन व्यवहारों के बीच संबंध का पता लगाया गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका में 3,000 से अधिक लोगों ने इस अध्ययन में भाग लिया और प्रतिभागियों को बैठने, स्क्रीन देखने और व्यायाम करने जैसी गतिविधियों में लगे समय को खुद रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था. 

कोरोना ने बिगाड़ी आदतें: 

कोरोना महामारी के कारण अधिकतर लोगों को घर के अंदर रहने और घर से काम करने के साथ-साथ कई बार सेल्फ-आइसोलेशन में भी रहना पड़ा. इसके कारण लोग लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठने के आदी हो गए.

हर रोज का चलना बेडरूम से वर्करूम तक एक छोटी सी दूरी में तब्दील हो गया औरमीटिंग रूम तक चलकर जाना भी खत्म होकर सिर्फ एक-दो मिनट की वॉक पर सिमट गया. जूम लिंक पर क्लिक करना मीटिंग रूम में जाने के बजाय मीटिंग में प्रवेश करने का नया तरीका बन गया और जिम में बिताया जाने वाला समय ऑनलाइन स्ट्रीमिंग ने ले लिया. 

और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ा है. खासकर कि मानसिक स्वास्थ्य पर. इसलिए बहुत जरुरी है कि लोगों को अपनी आदतों में बदलाव करना चाहिए. क्योंकि अगर आप मानसिक रूप से स्वास्थ्य हैं तभी जीवन के अन्य क्षेत्रों में अच्छा कर पाएंगे.