The Lancet Psychiatry जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कोविड 19 इंफेक्शन का मेंटल हेल्थ से गहरा संबंध है.नए शोध से पता चला है कि जो लोग कभी न कभी कोविड-19 से संक्रमित हुए, उनमें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने की संभावना काफी अधिक थी. शोध के मुताबिक COVID-19 संक्रमण के लक्षण खराब मानसिक स्वास्थ्य और कम जीवन संतुष्टि से जुड़े हैं. यूके में किंग्स कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं की टीम ने मानसिक स्वास्थ्य पर COVID-19 संक्रमण के गहरे प्रभाव पर रिसर्च की है.
इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं ने अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 के बीच हुए 11 अध्ययनों से डेटा लिया, जिसमें 54,442 प्रतिभागी कभी न कभी कोविड -19 से संक्रमित थे. स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को कोविड-19 था, उनमें उन लोगों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने की संभावना 60 प्रतिशत अधिक थी, जो संक्रमित नहीं थे. इस रिसर्च मं वैज्ञानिकों ने पाया कि अवसाद, चिंता और कम जीवन संतुष्टि में वृद्धि COVID-19 से जुड़ी थी. कोविड संक्रमण के बाद खराब मानसिक स्वास्थ्य कम नहीं हुए बल्कि बढ़ गए.
जीवन को लेकर कम श्योर हुए लोग
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को कोविड-19 संक्रमण हुआ, उनमें चिंता विकारों से पीड़ित होने की संभावना अधिक देखी गई. लगभग 40 प्रतिशत अधिक लोगों में अवसाद या तनाव से संबंधित विकारों का अनुभव करने की संभावना थी, जो व्यवहार और भावनाओं को प्रभावित कर सकते थे. पिछले अध्ययनों से पता चला है कि 25-44 आयु वर्ग की महिलाओं और वयस्कों पर कोरोना के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. आज के मौजूदा समय में सभी चिंता और तनाव से घिरे हुए हैं. इस स्थिति में लोगों की उम्मीद कम हो रही है.
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के टिप्स
सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा नकारात्मक खबरें देखना आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. इसलिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करने को लेकर भी एक टाइम शेड्यूल बनाएं.
हमारे खान-पान और दिनचर्या की आदतों का मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर होता है. कम खाएं लेकिन बेहतर खाएं.
हर दिन वर्कआउट करने से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होता है जो अवसाद, चिंता और तनाव की अनुभूति को कम करने में मदद करता है.
जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती है, उनमें थकान और कमजोरी के साथ मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की समस्याओं का खतरा हो सकता है. इसलिए आठ घंटे की नींद जरूर लें. समय पर सोने की कोशिश करें.
हंसने और खुश रहने से दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन बढ़ते हैं, जो आपका मूड सुधारते हैं. इसलिए जहां मौका मिले खुलकर हंसे.