ब्रोकन हार्ट सिन्ड्रोम या Takotsubo syndrome (TTS) मायोकार्डियल इंफार्क्शन का एक असामान्य लेकिन महत्वपूर्ण कारण है जो अमेरिका में तेजी से बढ़ रहा है. अमेरिका में सामने आए टीटीएस के मामले अलग-अलग आयु समूहों में अलग-अलग रहे. निष्कर्षों का समर्थन करने वाले सभी डेटा स्वास्थ्य देखभाल लागत और उपयोग परियोजना द्वारा प्रदान किए गए राष्ट्रीय रोगी नमूना (NIS) डेटाबेस के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
इस रिसर्च के लिए साल 2006 से 2017 तक के NIS3 डेटा का उपयोग करते हुए टीटीएस घटनाओं में उम्र और लिंग-आधारित अस्थायी प्रवृत्तियों की जांच की गयी. इसमें प्राइमरी और सेकन्डेरी TTS डायगनोस वाले 18 साल से ज्यादा की आयु के रोगियों को शामिल किया गया. अध्ययन के दौरान टीटीएस के 135,463 मामलों को ऑब्ज़र्व किया गया. इस दौरान महिलाओं और पुरुषों दोनों में ब्रोकन हार्ट सिन्ड्रोम की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई, जिसमें ज्यादातर मामले महिलाओं (88.3%) में देखे गए. खासतौर पर 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में. मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध महिलाओं में ब्रोकन हार्ट सिन्ड्रोम की घटनाओं में काफी ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी है. इन महिलाओं मे ये क्रमश: 128 मामले प्रति मिलियन प्रति वर्ष और 96 मामले प्रति मिलियन प्रति वर्ष रहे, जोकि कम उम्र की महिलाओं की तुलना में काफी ज्यादा है. उनमें ये 15 मामले प्रति मिलियन प्रति वर्ष रहे.
टीटीएस को बढ़ावा देने वाले कारण-
मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों में भी ब्रोकन हार्ट सिन्ड्रोम की घटनाओं में वृद्धि प्रति वर्ष 20 मामले प्रति मिलियन रही जबकि कम उम्र के पुरुषों में ये 10 मामले प्रति मिलियन प्रति वर्ष रही. वहीं वृद्धों में 16 मामले प्रति मिलियन प्रति वर्ष रही. टीटीएस को बढ़ावा देने वाले निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
* जोखिम वाली आबादी के आकार में निरंतर वृद्धि, जिसमें विशेष रूप से वृद्ध वयस्क और वृद्ध महिलाएं शामिल हैं.
*सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय तनावों में धर्मनिरपेक्ष परिवर्तन जो विशेष रूप से अतिसंवेदनशील मध्यम आयु वर्ग और विशेष रूप से वृद्ध व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं.
*टीटीएस की प्रकृति में संभावित विकास.
* ये जोखिम वृद्ध पुरुषों की तुलना में वृद्ध महिलाओं में ज्यादा दिखाई देते हैं. सबसे प्रमुख जोखिम समूह में 50 से 74 वर्ष की आयु की महिलाएं थीं.
ब्रोकन हार्ट सिन्ड्रोम के रोगियों में तनाव का स्तर अधिक होता है. ऐसे में डॉक्टर्स को इन मरीजों में मेंटल डिसॉर्डर की शीघ्र जांच और प्रारंभिक उपचार पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है. मनोवैज्ञानिक परामर्श और एंटी-एंगज़ाइटी दवाएं ऐसे मामलों में प्रभावी उपचार प्रदान कर सुधार कर सकता है.
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