पैंक्रियाटिक कैंसर दुनिया में सबसे आम प्रकार के कैंसर में से एक है. दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में ये चौथा सबसे बड़ा कारण है. वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल के अनुसार यह पुरुषों में होने वाला 12वां सबसे आम कैंसर है और महिलाओं में 11वां सबसे आम कैंसर है लेकिन यह सबसे खतरनाक कैंसर में से एक है. ये कैंसर तब होता है जब अग्न्याशय में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में पैंक्रियाटिक कैंसर का आंकड़ा कम है. बावजूद इसके अग्नाशय के कैंसर वाले रोगियों में जीवित रहने की दर आम तौर पर 1 से 5 साल है.
पैंक्रियाटिक कैंसर के इन दो लक्षणों को न करें इग्नोर
Primary Health Care Sciences की रिसर्च में पैंक्रियाटिक कैंसर के दो प्रमुख लक्षणों पर ध्यान देने के लिए कहा गया है. ये लक्षण हैं ज्यादा प्यास लगना और गहरे पीले रंग का पेशाब. ये लक्षण कैंसर के डायगनोस होने के 1 साल पहले से दिखाई दे सकते हैं. हालांकि जरूरी नहीं कि ये लक्षण पैंक्रियाटिक कैंसर के ही हों लेकिन रिसर्च में ये सामने आया है कि जिन लोगों में पैंक्रियाटिक कैंसर पाया गया उनमें एक साल पहले तक ऐसे ही लक्षण थे. प्राइमरी हेल्थ केयर साइंसेज के Nuffield Department के डॉ विकी लियाओ के अनुसार, ये लक्षण डॉक्टर्स को जल्दी से जल्दी इलाज करने में मदद कर सकते हैं. ये लक्षण कैंसर के मरीजों के लिए भी मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि लोग अक्सर इन संकेतों को गंभीर न समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. वैज्ञानिक इसे एक महत्त्वपूर्ण और उत्साहित करने वाला कदम मान रहे हैं.
पीलिया भी पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षणों में से एक
ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों में पैंक्रियाटिक कैंसर विकसित होता है उनमें वजन घटना, पेट में दर्द, मतली और अपच जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. ICMR की ये रिपोर्ट पैंक्रियाटिक कैंसर में लक्षणों के पैटर्न के बारे में बात करती है. इसमें कहा गया है कि 60% से अधिक कैंसर के रोगियों में पीलिया, पीला मल और खुजली जैसी दिक्कतें सामने आती हैं. डायबिटीज भी पैंक्रियाटिक कैंसर का एक लक्षण है. पैंक्रियाज का कैंसर होने पर पेट में दर्द भी हो सकता है, जो पीठ तक फैल सकता है.